सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कॉलेजियम (Collegium) की सिफारिश की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में तीन महिला जजों के नाम भी शामिल हैं. इसके अलावा तेलंगाना हाईकोर्ट ने भी न्यायिक अधिकारियों को प्रोन्नत कर जज बनाए जाने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से कर दी है. इस दौरान देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े जजों के पदों पर नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की मीटिंग की रिपोर्टिंग को लेकर सावधानी बरतने की अपील भी की. जस्टिस रमणा ने कहा कि वो कॉलेजियम की मीटिंग की रिपोर्टिंग से अपसेट हैं.
रमणा ने कहा कि ऐसी रिपोर्टिंग दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया बहुत संवेदनशील होती है. यह एक लंबी प्रक्रिया है. उसकी रिपोर्टिंग काफी सोच समझ के साथ होनी चाहिए. जस्टिस नवीन सिन्हा के कोर्ट में समारोहिक बेंच में विदाई देते हुए चीफ जस्टिस ने मीडिया संस्थानों और सीनियर पत्रकारों को संयम और विवेक से काम लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम में कई विषयों पर चर्चा होती है और कई आयामों से. ये एक सतत प्रक्रिया है. इसकी अधकचरी रिपोर्टिंग कई बार उलटी पड़ जाती है. इस चक्कर में कई बार असली प्रतिभाशाली लोग रह जाते हैं.
जस्टिस रमणा ने कहा कि मीडिया की स्वायत्तता के वो प्रबल पक्षधर हैं, लेकिन पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को वैचारिक परिपक्वता दिखानी चाहिए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े जजों के पदों पर नियुक्ति को लेकर बने कॉलेजियम (Collegium) की ओर से 9 नाम केंद्र सरकार को भेजे गए हैं, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं.
तीन महिलाओं को भी जज बनाने की सिफारिश
केंद्र को भेजे गए कॉलेजियम की ओर से जिन नामों की सिफारिश की गई है, उनमें कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एएस ओका, सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी, गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ, केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सीटी रवींद्र कुमार और केरल हाईकोर्ट के जज जस्टिस एमएम सुंदरेश भी शामिल हैं. इनके अलावा कॉलेजियम ने सीनियर एडवोकेट पीएस नरसिम्हा के नाम की भी सिफारिश की गई है. यही नहीं, कॉलेजियम ने तीन महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है. इनमें तेलंगाना हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस हिमा कोहली के अलावा गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल हैं. अगर जस्टिस नागरत्ना के नाम पर केंद्र सरकार तुरंत मुहर लगाती है तो 2027 में वो देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बन सकती हैं.