भारत
जजों की सेवानिवृत्ति उम्र के मांग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार
Apurva Srivastav
13 April 2021 2:26 AM GMT
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सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र एकसमान करने की मांग वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने विचार करने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र एकसमान करने की मांग वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने विचार करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता व भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय से कहा कि आप चाहते हैं कि न्यायपालिका अपनी सेवानिवृत्ति की आयु खुद ही बढ़ा ले।
यह क्या है? पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए कहा कि वह चाहे तो केंद्र सरकार या विधि आयोग के पास अपना प्रतिवेदन दे सकते हैं। इससे पहले सुनवाई के दौरान उपाध्याय ने कहा कि हाईकोर्ट में जजों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है जबकि सुप्रीम कोर्ट में 65 वर्ष है। चूंकि दोनों ही सांविधानिक अदालतें हैं, ऐसे में सेवानिवृत्ति की उम्र अलग अलग होना, अतार्किक व मनमाना है।
चीफ जस्टिस बोबडे ने उनसे यह भी जानना चाहा कि क्या उन्होंने इस संबंध में हाईकोर्ट के जज से संपर्क किया है कि क्या वे और अधिक काम करना चाहते हैं या नहीं। उपाध्याय ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट में जजों की सेवानिवृत्ति की आयु कम होने की वजह से वकील जज बनने से कतराते हैं। याचिका में कहा गया था कि सेवानिवृत्ति की आयु एकसमान होने पर हाईकोर्ट के जज बेहतर तरीके से अपने न्यायिक कार्यों को अंजाम दे सकेंगे।
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