भारत
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया, पॉक्सो एक्ट में स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट जरूरी नहीं, गलत नीयत से छूना भी पोक्सो एक्ट के दायरे में
jantaserishta.com
18 Nov 2021 5:31 AM GMT
x
>पोक्सो एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब गलत नीयत से छूना भी आएगा पोक्सो एक्ट के दायरे में.
पॉक्सो एक्ट में स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट जरूरी नहीं है. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सभी पक्षों की दलीले सुनी थी. इसके बाद 30 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि नाबालिग के निजी अंगों को स्किन टू स्किन संपर्क के बिना टटोलना POCSO act के तहत नहीं आता. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से याचिका दायर करने के लिए कहा था. फिर इस याचिका का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग, महाराष्ट्र सरकार सहित कई अन्य पक्षकारों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई. 30 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले का मतलब है कि यदि यौन उत्पीड़न के आरोपी और पीड़िता के बीच सीधे स्किन टू स्किन का संपर्क नहीं होता है, तो POCSO act के तहत यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता. अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट के इस फैसले से व्यभिचारियों को खुली छूट मिल जाएगी और उनको सजा देना बहुत पेचीदा और मुश्किल हो जाएगा.
बॉम्बे HC ने 12 साल की बच्ची को कमरे में बंद कर वक्ष दबाने वाले व्यक्ति से पॉक्सो एक्ट की धारा हटाई थी। दलील दी थी कि बिना कपड़े उतारे वक्ष दबाना महिला की गरिमा को ठेस का मामला है, न कि यौन दुराचार का। SC ने अब यह स्पष्टता दी है। SC ने दोषी को 3 साल की सश्रम कारावास की सज़ा भी दी
— Nipun Sehgal (@Sehgal_Nipun) November 18, 2021
jantaserishta.com
Next Story