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सुप्रीम कोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश, नाबालिग रहे शख्स ने जेल में काटे 17 साल

Nilmani Pal
10 Jan 2022 12:54 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश, नाबालिग रहे शख्स ने जेल में काटे 17 साल
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जानें पूरा मामला

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या मामले में 17 वर्ष से सजा काट रहे एक व्यक्ति के बारे में यह पता चलने पर कि वारदात के वक्त वह नाबालिग था, उसे तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे 58 वर्षीय इस व्यक्ति के खिलाफ 1979 में हत्या का मामला दर्ज किया गया था। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि यह व्यक्ति पहले ही 17 साल की सजा काट चुका है, इसलिए उसे तत्काल रिहा किया जाए। फैसले के खिलाफ अपील करने वाले विजय पाल ने 2018 में वकील दीपक कुमार जेना के माध्यम से एक याचिका दायर कर उसे अपराध के समय नाबालिग घोषित करने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने 13 जुलाई 2018 को हरदोई जिला न्यायाधीश को किशोर न्याय कानून-2000 के तहत अपीलकर्ता के दावे की जांच करने का निर्देश दिया था।

किशोर न्याय बोर्ड द्वारा पेश रिपोर्ट में कहा गया था, चूंकि स्कूल के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे, इसलिए आवेदक के अपराध के समय नाबालिग होने के दावे को सत्यापित नहीं किया जा सकता। इसके बाद, किशोर न्याय कानून की धारा 12(3) के तहत, 12 अक्तूबर 2018 को मेडिकल बोर्ड (फर्रुखाबाद) द्वारा आवेदक की उम्र का पता लगाने के लिए अस्थि परीक्षण किया गया था। उस रिपोर्ट में कहा गया कि अपराध की तारीख 11 जून 1979 के दिन यह शख्स 16 साल 8 महीने का था।

नाबालिग सिद्ध होने के लिए कभी भी कर सकते हैं आवेदन

शीर्ष अदालत ने कहा, नाबालिग सिद्ध होने के लिए आवेदन किसी भी समय या स्तर पर दायर किया जा सकता है, यहां तक कि अदालत द्वारा विशेष अनुमति याचिका को खारिज करने के बाद भी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, किशोर न्याय बोर्ड की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आवेदक अपराध की तारीख को किशोर पाया जाता है और उसे तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।

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