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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारत में नफरत भरे भाषणों पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने इसे "एक ऐसे देश के लिए चौंकाने वाला" करार दिया, जिसे धर्म-तटस्थ माना जाता है।
"यही इक्कीसवीं सदी है। हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं?" कोर्ट ने कहा।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और राज्यों से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषणों को रोकने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा था।न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ ने मामले को एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित मुद्दे पर अन्य लंबित याचिकाओं के साथ टैग करते हुए केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने शीर्ष अदालत का रुख कर केंद्र और राज्यों को देश भर में घृणा अपराधों और घृणास्पद भाषणों की घटनाओं की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग की है। शुरुआत में, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि समस्या से निपटने के लिए कुछ करने की जरूरत है और नफरत फैलाने वाले भाषण देने या घृणा अपराधों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
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