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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किए हैं. यह नोटिस हरियाणा सरकार के आवेदन पर जारी किए गए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि हरियाणा ने प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं (Farmer Leaders) के साथ बातचीत के लिए एक समिति का गठन किया है, लेकिन उन्होंने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया.सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किए हैं. यह नोटिस हरियाणा सरकार के आवेदन पर जारी किए गए हैं. सरकार ने आरोप लगाया है कि किसान संगठन (Notice To Farmer Organizations) और कई नेता राज्य पैनल के साथ बातचीत में शामिल नहीं हो रहे हैं. ये लोग दिल्ली बॉर्डर पर सड़कों की नाकेबंदी का मुद्दा हल के लिए राज्य सरकार के साथ बातचीत नहीं कर रहे हैं. इस मामले में राकेश टिकैत, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह समेत कई नेताओं को नोटिस जारी किया गया है.
हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल की जनहित याचिका में आवेदन दिया है. मोनिका अग्रवाल की जनहित याचिका में नाकेबंदी को हटाए जाने की अपील करते हुए कहा गया है कि मौजूदा हालात में दिल्ली पहुंचने में 2 सेभी ज्यादा घंटे लगते है. उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली पहुंचने में सिर्फ 20 मिनट लगते थे. उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) और यूपी गेट पर विरोध प्रदर्शन की वजह से लोगों को दिल्ली जाने में बहुत परेशानी हो रही है.
किसान नेताओं को जारी किया नोटिस
जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने आवेदन का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी करने का आदेश दिया. बेंच ने सवाल किया कि जिन 43 लोगों को सॉलिसिटर जनरल ने पक्षकार बनाया है, वह उन तक नोटिस कैसे भेजेंगे. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि किसानों के नेता इस मामले में जरूरी पक्ष हैं. वह सुनिश्चित करेंगे कि उन लोगों पर नोटिस की तामील हो. तुषार मेहता ने कोर्ट से इस मामले पर 8 अक्टूबर को सुनवाई का किए जाने की अपील की. लेकिन बेंच ने सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तारीख तय की है.
राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि हरियाणा ने प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं के साथ बातचीत के लिए एक समिति का गठन किया है, लेकिन किसान नेताओं ने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया. तुषार मेहता ने कहा कि सभी नेताओं को नोटिस जारी किए जाएं, ताकि वह न आने का कोई कारण न बता सकें.हरियाणा सरकार ने याचिका में बताया कि किसान संगठनों से बातचीत के लिए 15 सितंबर को राज्य स्तरीय पैनल का गठन किया गया था. लेकिन किसानों ने 19 सितंबर को बातचीत से इनकार कर दिया.
दिल्ली जाने वाले रास्ते ब्लॉक करने का मामला
सरकार ने अपने आवेदन में कहा कि सिन्धु और टिकरी बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा धरने कर रही है. उन्होंने कहा कि किासन संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को पक्षकार बनाया जाना चाहिए. मामले के हल के लिए ये सभी जरूरी पक्षकार हैं. इससे पहले हुई सुनवाई में बेंच ने हैरानी जताते हुए कहा था कि हईवे को हमेशा के लिए कैसे बाधित किया जा सकता है. इसके साथ ही बेंच ने केंद्र से पूछा था कि इस मामले में सरकार क्या कर रही है.
केंद्र सरकार ने कहा था कि उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एक बैठक बुलाई थी. हलफनामे में ब्योरे का उल्लेख किया गया है. तुषार मेहता ने बेंच से अपील की कि कोर्ट को किसान संगठनों को पक्ष बनाने की अनुमति देनी चाहिए. इससे उनके पास यह कहने का बहाना न हो कि मामले में उन्हें पक्ष नहीं बनाया जाए. इस दौरान बेंच ने कहा था कि तुषार मेहता को किसानों के प्रतिनिधियों को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन दाखिल करना होगा.
कोर्ट ने 23 अगस्त को केंद्र और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों से कहा था कि बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से बंद दिल्ली के बॉर्डर को खोलने के लिए कोई समाधान खोजना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि किसानों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है. लेकिन वे एक तय जगह पर ही विरोध कर सकते हैं. इससे यातायात बाधित नहीं होना चाहिए.
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