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सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत, यूनिटेक के मामलों की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में देना होगा

Deepa Sahu
29 Sep 2021 2:50 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत, यूनिटेक के मामलों की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में देना होगा
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गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया।

नई दिल्ली, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने यूनिटेक लिमिटेड में अनियमितताओं पर एक रिपोर्ट तैयार कर ली है और उसकी कुछ और संपत्तियों का पता लगाया है। एसएफआइओ ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति मांगते हुए कहा कि उन्हें कोर्ट के संज्ञान में कुछ मुद्दे लाने हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने एसएफआइओ की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल माधवी दीवान को इसकी अनुमति देते हुए कहा कि हालांकि उसका इस मामले की गुरुवार को सुनवाई करने का कार्यक्रम था लेकिन किसी समस्या के कारण विशेष पीठ अगले बुधवार को सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा कि आप सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर सकते हैं लेकिन मामले पर सुनवाई अगले बुधवार को होगी।

सुनवाई की शुरुआत में दीवान ने मामले का जिक्र करते हुए कहा कि एसएफआईओ ने यूनिटेक लिमिटेड की अपनी जांच पर रिपोर्ट तैयार की है। उन्हें समूह की कुछ संपत्तियों का पता चला है और कुछ स्पष्टीकरण चाहिए। उन्हें मिली संपत्तियां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तलाशी गई संपत्तियों से अधिक हैं पीठ ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति देते हुए मामले पर अगली सुनवाई के लिए छह अक्टूबर की तारीख तय की।
कोर्ट ने 26 अगस्त को निर्देश दिया था कि यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को दिल्ली की तिहाड़ जेल से मुंबई की आर्थर रोड जेल और महाराष्ट्र में तलोजा जेल स्थानांतरित किया जाए। शीर्ष अदालत ने यह आदेश ईडी द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद दिया था कि ये लोग जेल कíमयों की मिलीभगत से जेल परिसर के भीतर से ही कारोबार चला रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने ईडी द्वारा प्रस्तुत की गईं दो स्थिति रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत को लेकर कहा था कि तिहाड़ जेल अधीक्षक और अन्य जेल कर्मी पूरी तरह बेशर्म हैं। इसने कहा कि रिपोर्ट में कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन और इसके अधिकारक्षेत्र को कमतर करने जैसे गंभीर और व्यथित करने वाले मुद्दे उठाए गए हैं।
कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त से कहा था कि वह चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत के मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारियों के आचरण की व्यक्तिगत रूप से तत्काल जांच शुरू करें और चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ईडी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया था कि उसने यहां एक 'गुप्त भूमिगत कार्यालय' का पता लगाया था, जिसे यूनिटेक के पूर्व संस्थापक रमेश चंद्र द्वारा संचालित किया जा रहा था। पैरोल या जमानत पर छूटने पर उनके बेटे संजय और अजय भी इस दफ्तर में गए थे।
चंद्रा और यूनिटेक लिमिटेड के खिलाफ मनी लांड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही ईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि संजय और अजय दोनों ने पूरी न्यायिक हिरासत को अर्थहीन कर दिया है। वे दोनों जेल स्टाफ की मिलीभगत से पूरी स्वतंत्रता से संवाद कर रहे हैं, अपने अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं और अंदर से संपत्तियों का निपटान कर रहे हैं। ईडी और एसएफआइओ के अलावा, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भी यूनिटेक समूह के मामलों और रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व प्रमोटरों के व्यापार लेनदेन की जांच कर रही है।
अगस्त 2017 से जेल में बंद संजय और अजय पर कथित तौर पर घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी करने का आरोप है। शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2017 के अपने आदेश में उन्हें 31 दिसंबर, 2017 तक शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था। चंद्रा बंधुओं ने दावा किया है कि उन्होंने कोर्ट की शर्तो का पालन किया है और 750 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की है। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए।
यह मामला एक आपराधिक मामले से संबंधित है, जो 2015 में दर्ज एक शिकायत से शुरू हुआ और बाद में गुरुग्राम में स्थित यूनिटेक प्रोजेक्ट्स वाइल्ड फ्लावर कंट्री और एंथिया प्रोजेक्ट के 173 अन्य घर खरीदारों से जुड़ गया। पिछले साल 20 जनवरी को, यूनिटेक के 15,000 से अधिक परेशान घर खरीदारों को राहत देते हुए, शीर्ष अदालत ने केंद्र को रियल्टी फर्म का कुल प्रबंधन अपने नियंत्रण में लेने और नामित निदेशकों का एक नया बोर्ड नियुक्त करने की अनुमति दी थी।
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