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सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक ट्विन टावर में फ्लैट खरीदारों को दी बड़ी राहत, 28 फरवरी तक लौटाए पैसा

Apurva Srivastav
4 Feb 2022 6:08 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक ट्विन टावर में फ्लैट खरीदारों को दी बड़ी राहत, 28 फरवरी तक लौटाए पैसा
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सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर में फ्लैट बुक कराने वालों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को बिल्डर से कहा कि वह फ्लैट बुक कराने वालों के पैसे 28 फरवरी तक लौटा दे।

नई दिल्ली: सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर में फ्लैट बुक कराने वालों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को बिल्डर से कहा कि वह फ्लैट बुक कराने वालों के पैसे 28 फरवरी तक लौटा दे। इसके अलावा कोर्ट ने सुपरटेक यह भी कहा है कि फ्लैट खरीदने के लिए बैंक से कर्ज लेने वालों के मामले को भी वह बैंक के साथ मिल कर 31 मार्च तक निपटाए और एनओसी ले। कोर्ट के आदेश पर ट्विन टावर ढहाए जाने हैं। इस मामले में सोमवार को भी सुनवाई होगी।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने नोएडा के एमराल्ड कोर्ट में ट्विन टावर के मामले में सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए। सुपरटेक के वकील ने कहा कि सुपरटेक ने न्यायमित्र वकील गौरव अग्रवाल के साथ बैठक करके सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाले 38 फ्लैट खरीदारों को पैसा वापस करने का मामला हल कर लिया है। जैसा कि तय हुआ है सुपरटेक फ्लैट खरीदारों को 28 फरवरी तक पैसा वापस कर देगा।
न्यायमित्र अग्रवाल ने कोर्ट के समक्ष पक्षों की सहमति से तैयार किया गया पैसा वापसी का नोट पेश किया। उन्होंने कहा कि यह मामला 38 होम बायर्स का है। कोर्ट सुपरटेक को आदेश दे कि जिन लोगों ने फ्लैट खरीदने के लिए बैंक से कर्ज नहीं लिया था, उन्हें 28 फरवरी तक पैसा लौटा दे। अग्रवाल ने कहा कि जिन लोगों ने बैंक से कर्ज लिया है उन मामलों में सुपरटेक बैंक और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर 31 मार्च तक मामले निपटाए।
अग्रवाल ने कहा कि कुछ फ्लैट खरीदारों और बिल्डर के बीच हुए समझौते हुआ है। खरीदारों का कहना है बिल्डर ने उन्हें कम पैसा वापस किया है और वे चाहते हैं कि अदालत उनके मामले पर भी विचार करे। इस पर कोर्ट ने समझौतों के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उन्हें सभी के प्रति निष्पक्ष रहना है, बिल्डर के प्रति भी। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि इस विवाद का अंत होना चाहिए अन्यथा यह मामला ऐसे ही चलता रहेगा।
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