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सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत: 6 साल जेल में रहा आरोपी, मिल गई थी जमानत, हाईकोर्ट ने रखी थी ये शर्त

jantaserishta.com
30 May 2021 8:21 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत: 6 साल जेल में रहा आरोपी, मिल गई थी जमानत, हाईकोर्ट ने रखी थी ये शर्त
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धोखाधड़ी और जालसाजी मामले के एक आरोपी को जमानत तो मिली, लेकिन जमानत की शर्त ऐसी थी कि आरोपी उसे पूरा कर पाने में असमर्थ था। लिहाजा वह शख्स जमानत मिलने के बावजूद करीब छह वर्ष से सलाखों के पीछे था। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट उस आरोपी को राहत देते हुए 60 लाख रुपये जमा करने के शर्त को हटा दिया है। जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा 16 जुलाई 2015 के आदेश में लगाई गई ऐसी शर्त के खिलाफ एस के मुमताज उर्फ सुमताज द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि विचाराधीन कैदी के तौर पर याचिकाकर्ता छह वर्ष से अधिक समय जेल में बिता चुका है क्योंकि वह 60 लाख रुपये देने में सक्षम नहीं था। इस शख्स को 23 जून 2014 को गिरफ्तार किया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया था कि वह एक गरीब व्यक्ति है और कंपनी ने उसे निदेशकों में से एक बताया था जबकि वह कंपनी में सिर्फ एक चौकीदार था। आरोपी ने हाईकोर्ट के 21 अक्टूबर, 2020 के आदेश की वैधता को चुनौती दी थी, जिसमें जमानत की शर्त से राहत देने से इनकार कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने मामले के तथ्यों पर गौर करने के बाद आरोपी पर 60 लाख रुपये जमा करने की लगाई गई शर्त को हटाते हुए उसे जमानत पर रिहा करने के लिए कहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2015 में हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों को बरकरार रखा है। आरोपी को इन सभी शर्तों को पूरा करने के लिए कहा गया है। ओडिशा पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता ने दिलीप कुमार बाला और दारुब्रह्मा बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के अशोक कुमार घदेई के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज बनाकर शिकायतकर्ता सुभ्रा मोहंती के साथ चार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। महिला एक एनजीओ स्थापित करने के लिए कटक में करीब 100 एकड़ जमीन खरीदना चाहती थी। अभियुक्तों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिये दूसरों की जमीनों की 'सेल डीड' बनवा ली थी।
जमानत पाने वाला एक आरोपी फरार
पुलिस का यह भी कहना था कि अभियुक्त को जिन अपराधों के तहत आरोपित किया गया है, उनमें अधिकतम आजीवन कारावास की सजा है। पुलिस का कहना था कि जमानत मिलने पर आरोपी भाग सकता है। साथ ही पुलिस ने यह भी बताया कि वर्ष 2017 में 20 दिनों के लिए अंतरिम जमानत पाने वाले एक अन्य आरोपी बाला ने आत्मसमर्पण नहीं किया और वह अभी तक फरार है।
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