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कई साल लंबे मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों को दिया बड़ा झटका, जानिए पूरी खबर

Admin Delhi 1
7 Nov 2022 3:15 PM GMT
कई साल लंबे मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों को दिया बड़ा झटका, जानिए पूरी खबर
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एनसीआर नॉएडा न्यूज़: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों को तगड़ा झटका दिया है। कई साल लंबे मुकदमे में सोमवार को शहर के बिल्डर नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से हार गए हैं। इस फैसले से दोनों विकास प्राधिकरणों को करीब 20,000 करोड़ रुपए का फायदा मिलेगा। हालांकि, बिल्डरों से फ्लैट खरीद कर बैठे लोगों को कितना फायदा होगा, यह अभी कहना संभव नहीं है। दूसरी ओर रियल एस्टेट सेक्टर के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की बदौलत शहर के कई और बिल्डर दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाएंगे।

क्या है मामला: नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से बिल्डरों ने साल 2009 से लेकर 2014 तक करीब 200 हाउसिंग परियोजनाओं के लिए 20 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन का आवंटन हासिल किया। बिल्डरों ने दोनों प्राधिकरणों की लचीली भूमि आवंटन नीतियों का भरपूर फायदा उठाया। करीब 2 लाख परिवारों को इन हाउसिंग परियोजनाओं में फ्लैट बेचे। फ्लैट खरीदारों से मिला पैसा प्राधिकरण को चुकाने की बजाय दूसरी कंपनियों और धंधों में ट्रांसफर करने लगे। जब प्राधिकरणों ने पैसा वसूली का दबाव बनाया तो बिल्डरों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ले ली।

बिल्डरों का आरोप- मनी लेंडर बनी अथॉरिटी: सुप्रीम कोर्ट को बताया कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण मनी लेंडर की तरह काम कर रहे हैं। भूमि आवंटन पर मोटा ब्याज, जुर्माना और पेनल्टी ब्याज वसूल किया जा रहा है। जिसकी वजह से रियल एस्टेट कंपनियां आर्थिक संकट में पहुंच गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। करीब 3 साल पहले फैसला सुनाया कि विकास प्राधिकरण मनी लेंडर की तरह काम नहीं कर सकते हैं। ब्याज बहुत ज्यादा वसूल किया जा रहा है। भूमि आवंटन पर विकास प्राधिकरण बिल्डरों से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एमसीएलआर के अनुसार ब्याज वसूली करेंगे। एसबीआई की एमसीएलआर पर 1% अतिरिक्त एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को करीब 20,000 करोड रुपए का फटका लग गया।

सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरणों ने रिव्यु फाइल किया: करीब 3 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने रिव्यू फाइल किया। अब सोमवार को रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट का संशोधित फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले से दोनों अथॉरिटी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोविड-19 महामारी आने तक बिल्डर प्राधिकरण को आवंटन के वक्त निर्धारित की गई ब्याज दरों के हिसाब से भुगतान करेंगे। कोविड-19 आने के बाद से लेकर अब तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एमसीएलआर को आधार बनाकर अथॉरिटी को बिल्डरों से भुगतान लेना होगा। नोएडा अथॉरिटी के बिल्डरों पर 26,000 करोड़ रुपए बकाया हैं। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार अब अथॉरिटी को बिल्डरों से करीब 6,500 करोड़ रुपये बतौर ब्याज मिलेंगे। करीब 13,500 करोड रुपए बतौर मूलधन मिलेंगे। इस तरह दोनों अथॉरिटी का शहर के बिल्डरों पर 45,000 करोड रुपए बकाया हैं।

करीब ढाई लाख फ्लैट खरीदारों का असमंजस खत्म हुआ: गौतमबुद्ध नगर में प्रॉपर्टी मामलों के जानकार एडवोकेट मुकेश शर्मा कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से करीब ढाई लाख फ्लैट बायर्स के सामने खड़ा असमंजस खत्म हो गया है। दरअसल, बिल्डर अथॉरिटी को पैसा नहीं दे रहे। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों का हवाला देकर भुगतान रोक रखा है। ऐसे में प्राधिकरण बिल्डरों को हाउसिंग परियोजनाओं से जुड़े कंपलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं। सीसी और ओसी नहीं मिलने से फ्लैट बायर्स के नाम उनके घरों की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही हैं। अब यह स्थिति साफ हो गई है कि बिल्डरों को पैसा देना पड़ेगा। प्राधिकरण को अपने पैसे की वसूली करने का हक मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ग्रेटर नोएडा में ही 197 प्रॉजेक्ट का रास्ता साफ हो गया है। जिनमें से 60 बिल्डरों के प्रॉजेक्ट बनकर तैयार हो चुके हैं। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के लॉ विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अथॉरिटी ने ब्याज वसूली के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू फाइल किया था।

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