सुप्रीम कोर्ट: डीजे पर रोक लगाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई आज
फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के डीजे पर बैन (Ban on DJ) के फैसले को चुनौती देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट में डीजे संचालकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने डीजे संचालकों को अंतरिम राहत देते हुए अक्टूबर 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ मामले में आज सुनवाई करेगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के डीजे पर बैन (Ban on DJ) के फैसले को चुनौती देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट में डीजे संचालकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने डीजे संचालकों को अंतरिम राहत देते हुए अक्टूबर 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ मामले में आज सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा था कि संबंधित अधिकारियों को डीजे संचालकों की तरफ से दाखिल प्रार्थनापत्र स्वीकार करने होंगे. अगर वे कानून के लिहाज से सारे मानक पूरे करते हैं तो उन्हें अपनी सेवाएं संचालित (DJ Services) करने की इजाजत देनी होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त 2019 में शादी समारोहों में डीजे बजने से पैदा होने वाले शोर को अप्रिय और बेहूदा स्तर का बताते हुए इन्हें पूरी तरह प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया था.
सात जुलाई के आदेश में कहा था ये
मामला सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने सात जुलाई के अपने आदेश (Supreme Court order on DJ) में कहा, याचिकाकर्ता के वकील को याचिकाओं की प्रति उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) राज्य के स्थायी अधिवक्ता को उपलब्ध कराने तथा उन्हें इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया जाता है, मामले पर 15 जुलाई 2021 को सुनवाई होगी. मामले में विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत पराशर पैरवी कर रहे हैं.
क्या कहती है याचिका
मामले की पैरवी कर रहे पराशर ने कहा था डीजे ऑपरेटर शादी, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं, ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है. याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस तरह का आदेश डीजे के पेशे से जुड़े लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.