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उच्चतम न्यायालय ने दिया निर्देश, EPF अंशदान में देरी से हुए नुकसान की भरपाई करेंगे नियोक्ता

Kunti Dhruw
23 Feb 2022 5:03 PM GMT
उच्चतम न्यायालय ने दिया निर्देश, EPF अंशदान में देरी से हुए नुकसान की भरपाई करेंगे नियोक्ता
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कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान (EPF contribution) में देरी के लिए होने वाले नुकसान की भरपाई नियोक्ता को करनी होगी.

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान (EPF contribution) में देरी के लिए होने वाले नुकसान की भरपाई नियोक्ता को करनी होगी. उच्चतम न्यायालय (SC) ने बुधवार को यह व्यवस्था दी है. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम किसी ऐसे प्रतिष्ठान में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है, जहां 20 या अधिक लोग काम करते हैं. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस कानून के तहत नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह अनिवार्य रूप से भविष्य निधि (Provident Fund)) की कटौती करे और उसे ईपीएफ कार्यालय में कर्मचारी के खाते में जमा कराए. उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर दी है. उच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि यदि नियोक्ता ईपीएफ में अंशदान में देरी करता है, तो इसकी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी उसी की होगी. न्यायालय ने कहा, ''हमारा विचार है कि ईपीएफ अंशदान जमा करने में देरी के लिए नियोक्ता को कानून की धारा 14 बी के तहत क्षतिपूर्ति देनी होगी.


कर्मचारियों के लिये नई पेंशन योजना पर विचार
ईपीएफओ संगठित क्षेत्र के 15,000 रुपये से अधिक का मूल वेतन पाने वाले तथा कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (ईपीएस-95) के तहत अनिवार्य रूप से नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है. वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं. एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''ईपीएफओ के सदस्यों के बीच ऊंचे योगदान पर अधिक पेंशन की मांग की गई है. इस प्रकार उन लोगों के लिए एक नया पेंशन उत्पाद या योजना लाने के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, जिनका मासिक मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक है.'' सूत्र के अनुसार, इस नए पेंशन उत्पाद पर प्रस्ताव 11 और 12 मार्च को गुवाहाटी में ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में आ सकता है.
अगले महीने तय होंगी ब्याज दरें
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर ब्याज दरें अगले महीने तय की जाएंगी. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक अगले महीने होने जा रही है जिसमें चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों पर फैसला किया जाएगा. केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसी महीने पीटीआई-भाषा को यह जानकारी दी. यादव ने कहा, ''ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक मार्च में गुवाहाटी में होगी, जिसमें 2021-22 के लिए ब्याज दरों तय करने का प्रस्ताव सूचीबद्ध है.'' यह पूछे जाने पर कि क्या ईपीएफओ 2021-22 के लिए भी 2020-21 की तरह 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर को कायम रखेगा, यादव ने कहा कि यह फैसला अगले वित्त वर्ष के लिए आमदनी के अनुमान के आधार पर किया जाएगा. मार्च, 2021 में सीबीटी ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा के लिए 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर निर्धारित की थी. सीबीटी द्वारा ब्याज दर पर फैसला लेने के बाद इसे वित्त मंत्रालय की अनुमति के लिए भेजा जाता है। मार्च, 2020 में ईपीएफओ ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को घटाकर 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत के सात साल के निचले स्तर पर ला दिया था. 2018-19 में ईपीएफओ पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था. ईपीएफओ ने 2016-17 और 2017-18 में भी 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया था. 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत थी. वहीं 2013-14 में 8.75 प्रतिशत और 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत का ही ब्याज दिया गया था. हालांकि, 2012-13 में ब्याज दर 8.5 प्रतिशत थी. 2011-12 में यह 8.25 प्रतिशत थी.


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