भारत

सुप्रीम कोर्ट: अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल बोले- 'पोक्सो के तहत अपराध के लिए 'स्किन टू स्किन' संपर्क जरूरी नहीं'

Deepa Sahu
29 Sep 2021 6:54 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट: अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल बोले- पोक्सो के तहत अपराध के लिए स्किन टू स्किन संपर्क जरूरी नहीं
x
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले में एक आरोपी को बरी करने के खिलाफ अटॉर्नी जनरल की याचिका पर बुधवार को सुनवाई शुरू की।

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले में एक आरोपी को बरी करने के खिलाफ अटॉर्नी जनरल की याचिका पर बुधवार को सुनवाई शुरू की। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बिना 'स्किन टू स्किन' संपर्क के बच्ची के स्तनों को टटोलना आईपीसी की धारा 354 के तहत छेड़छाड़ है लेकिन पोक्सो की धारा 8 के तहत 'यौन हमला' का गंभीर अपराध नहीं है।

केके वेणुगोपाल ने कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला गलत और उसने धारा सात की गलत व्याख्या की है
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की तीन सदस्यीय पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ द्वारा पारित विवादास्पद फैसले के खिलाफ अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) समेत कई याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई की शुरुआत की। अटॉर्नी जनरल ने अपनी दलील में कहा कि हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले ने पोक्सो अधिनियम की धारा सात की गलत व्याख्या की है।
उन्होंने तर्क दिया कि अधिनियम की धारा आठ के तहत त्वचा से त्वचा के संपर्क को यौन हमले के अपराध के रूप में व्यक्त नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जज ने यह देखा कि बच्ची के स्तनों को टटोलने के अपराध के लिए तीन वर्ष की सजा बहुत सख्त है लेकिन यह ध्यान नहीं दिया कि धारा सात ऐसे सभी प्रकार के कृत्यों से व्यापक तरीके से निपटता है और ऐसे अपराधों के लिए न्यूनतम सजा के रूप में तीन साल निर्धारित करता है। संसद ने नहीं सोचा कि एक बच्ची के स्तन को छूने के अपराध के लिए तीन वर्ष की सजा बहुत कठोर सजा है।
उन्होंने कहा कि आईपीसी की धारा-354 महिला से संबंधित है न कि 12 साल के बच्चे के लिए, जैसा मौजूदा मामले में है। उन्होंने कहा कि पोक्सो एक विशेष कानून है जिसका उद्देश्य उन बच्चों की रक्षा करना है जो अधिक कमजोर हैं। ऐसे में कोई यह नहीं कह सकता कि आईपीसी की धारा-354 की प्रकृति में समान है।
वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के फैसले का मतलब यह है कि एक व्यक्ति जो एक जोड़ी सर्जिकल दस्ताने पहनने के बाद एक बच्ची का यौन शोषण करता है उसे बरी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से असाधारण स्थितियां पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि पोक्सो के तहत अपराध के लिए 'स्किन टू स्किन' संपर्क आवश्यक नहीं है।
अगर कल कोई व्यक्ति सर्जिकल दस्ताने पहनता है और एक महिला के पूरे शरीर को महसूस करता है तो उसे इस फैसले के अनुसार यौन उत्पीड़न के लिए दंडित नहीं किया जाएगा। यह अपमानजनक है। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के इस आदेश को पलटने का अनुरोध किया। अटॉर्नी जनरल के अलावा बुधवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने भी दलीलें पेश करते हुए हाईकोर्ट के इस फैसले को गलत बताया।
Next Story