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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नई दिल्ली: अर्नब गोस्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ किया है कि रिपब्लिक टीवी (Republic TV ) के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को मिली अंतरिम जमानत तब तक बरकरार रहेगी, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) FIR रद्द करने की उनकी मांग पर फैसला नहीं ले लेता. अगर हाई कोर्ट उनकी मांग के खिलाफ फैसला देता है, तो भी उन्हें इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती देने के लिए 4 हफ्ते का वक़्त मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की आलोचना भी की है. कोर्ट ने कहा, 'हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज करते वक्त इस तथ्य की अनदेखी कि FIR में दिए गए तथ्यों के मुताबिक, प्रथम दृष्टया अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) के खिलाफ आत्महत्या के प्रयास का मामला नहीं बनता.'
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ये कोर्ट का दायित्व बनता है कि वो राज्यों को आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल नागरिकों को परेशान करने या उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन के लिए न करने दे. हाई कोर्ट और निचली अदालतें ये सुनिश्चित करें कि उनके यहां लंबित जमानत अर्जी पर जल्द फैसला हो.
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के मुंबई (Mumbai) स्थित ऑफिस में 9 सितंबर को बीएमसी (BMC) द्वारा की गई तोड़फोड़ को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कहा कि बीएमसी का एक्शन दुर्भावनापूर्ण रवैये से किया गया है. कोर्ट ने कंगना रनौत के ऑफिस में तोड़फोड़ के बाद हुए नुकसान के आकलन करने के आदेश दिए हैं. इस संबंध में मार्च 2021 तक अपनी रिपोर्ट सौपेंगे.
9 सितंबर को बीएमसी ने कंगना रनौत के ऑफिस में कुछ हिस्सों को अवैध बताते हुए तोड़फोड़ की थी जिसके विरोध में कंगना ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद कोर्ट ने बीएमसी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.