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जज पर सुप्रीम कोर्ट का एक्शन, हाई कोर्ट जस्टिस को स्थायी जज बनाने की सिफारिश वापस ली, ये फैसला बना कारण?
jantaserishta.com
30 Jan 2021 8:29 AM GMT

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नई दिल्ली/नागपुर. यौन उत्पीड़न से जुड़े दो मामलों पर अपने विवादास्पद आदेशों के चलते जस्टिस पुष्पा वी. गनेडीवाला (Justice Pushpa V. Ganediwala) को बॉम्बे हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाने की अपनी सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट ने कथित रूप से वापस ले लिया है.
जस्टिस गनेडीवाला ने एक सत्र न्यायालय के आदेश को संशोधित किया था, जिसमें एक व्यक्ति को एक नाबालिग के यौन हमले का दोषी ठहराया गया था. उन्होंने फैसला दिया था कि 'किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल को छूना, यौन हमला नहीं कहा जा सकता.'
सुप्रीम कोर्ट ने गनेडीवाला के इस फैसले पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी जज के रूप में जस्टिस गनेडीवाला की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया. सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट को मजबूरन अपनी सिफारिश वापस लेनी पड़ी.
12 साल की बच्ची से दुर्व्यवहार के दोषी से पॉक्सो एक्ट हटाने वाली HC जज को स्थायी जज बनाने की सिफारिश वापस ली गई। बॉम्बे HC की एडिशनल जज जस्टिस पुष्पा गनेडिवाला फरवरी 2019 में नियुक्त हुई थीं। SC कॉलेजियम ने उन्हें स्थायी जज बनाने की सिफारिश 20 जनवरी को की थी। इसे वापस लिया गया है
— Nipun Sehgal (@Sehgal_Nipun) January 30, 2021
ये तीन फैसले संदेहास्पद
जस्टिस गनेडीवाला ने एक फैसले में कहा था कि POCSO Act के तहत जब तक आरोपी पीड़िता से स्किन टच नहीं करता उसको यौन शोषण नहीं माना जाएगा. कपड़े के ऊपर से छूना अपराध नहीं होगा. इस फैसले को अटॉर्नी जेनरल के के वेणुगोपाल ने निजी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि ऐसे फैसले से गलत परंपरा बनेगी.
दूसरे फैसले में जस्टिस गनेडीवाला ने कहा कि किसी बच्ची का हाथ पकड़ कर आरोपी अपने पैंट का ज़िप खोलता है तो इससे यौन शोषण नहीं होगा. तीसरे फैसले में जस्टिस गनेडीवाला ने बलात्कार के एक निचिली अदालत के फैसले को पलट दिया और कहा कि बलात्कार के कोई सबूत नहीं मिले है. इस फैसले को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है.
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 1969 में जन्मीं पुष्पा गनेडीवाला ने बी. कॉम, एलएलबी और फिर एलएलएम की पढ़ाई की है. वो 2007 में डिस्ट्रिक्ट जज नियुक्त हुई थीं. इसके बाद मुंबई सिविल कोर्ट और नागपुर की डस्ट्रिक्ट और फैमिली कोर्ट में भी रहीं. फिर बाद में वह बॉम्बे हाईकोर्ट की रजिस्ट्रार जनरल बनाई गईं. इसके बाद 2019 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में अडिशनल जज का पदभार दिया गया था.
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