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शिव शक्ति प्वाइंट पर दिखने लगा सूरज, फिर काम पर लग सकते है विक्रम-प्रज्ञान
Shantanu Roy
20 Sep 2023 12:56 PM GMT
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बड़ी खबर
नई दिल्ली। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 600 किलोमीटर दूर मौजूद शिव शक्ति प्वाइंट पर सुबह होने वाली है. छोटी-मोटी सुबह नहीं. अगले 14-15 दिनों तक रहने वाली सुबह. ये उम्मीद की सुबह है. अगर सूरज की पर्याप्त रोशनी चंद्रयान- 3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सोलर पैनल्स पर पड़ी तो वो जाग जाएंगे.
फिलहाल विक्रम लैंडर का रिसीवर ऑन है. उसके सारे यंत्र बंद है. यही हाल प्रज्ञान रोवर का भी है. 22 सितंबर को इसरो वैज्ञानिक फिर से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास करेंगे. तब तक लैंडर के अंदर लगी बैटरी चार्ज हो जाएगी. सारे यंत्र ठंड से निकलने के बाद गर्म हो चुके होंगे. एक्टिव हो चुके होंगे.
विक्रम लैंडर को 4 सितंबर 2023 को सुला दिया गया है. उसके सारे पेलोड्स बंद कर दिए गए थे. सिर्फ रिसीवर ऑन था. उस समय तक का सारा डेटा बेंगलुरु स्थिति ISTRAC को मिल चुका था. विक्रम अपने सोने से पहले एक बार और चांद पर उछला था. उसने छलांग लगाई थी. छलांग के पहले और बाद की फोटो भी ISRO ने जारी भी की थी. जिसमें जगह बदली हुई दिख रही है.
विक्रम लैंडर को सुलाने से पहले नई जगह पर सभी पेलोड्स की जांच-पड़ताल की गई. उसके बाद लैंडर को सोने का कमांड दिया गया है. सिर्फ रिसीवर ऑन छोड़ा गया था. ताकि वह बेंगलुरु से कमांड लेकर फिर से काम कर सके. 3 सितंबर को विक्रम ने चांद पर छलांग लगाई थी. वह अपनी जगह से कूदकर 30-40 सेंटीमीटर दूर गया था. हवा में 40 सेंटीमीटर ऊपर तक कूदा था. विक्रम की यह छलांग भविष्य के सैंपल रिटर्न और इंसानी मिशन में ISRO की मदद करेगा.
लैंडर और रोवर मे सोलर पैनल लगे हैं. वो सूरज से ऊर्जा लेकर चार्ज होते हैं. जब तक सूरज की रोशनी मिलती रहेगी, उनकी बैटरी चार्ज होती रहेगी. वो काम करते रहेंगे. हो सकता है सूरज उगने के बाद वो फिर से एक्टिव हो जाएं. अगले 14-15 दिन काम करने के लिए. लेकिन यह जरूरी नहीं. माइनस 250 से नीचे का तापमान बर्दाश्त करने के बाद फिर से एक्टिव होना आसान नहीं होता.
चंद्रमा पर हर 14-15 दिन में सूरज उगता है. फिर इतने ही दिन अस्त रहता है. यानी वहां इतने दिनों तक रोशनी रहती है. चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमते हुए धरती का चक्कर लगाता रहता है. इसलिए उसका एक हिस्सा सूरज के सामने आता है, तो दूसरा पीछे चला जाता है. इसलिए हर 14-15 दिन पर सूरज की आकृति भी बदलती रहती है.
विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?
1. रंभा (RAMBHA)... यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा.
2. चास्टे (ChaSTE)... यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा.
3. इल्सा (ILSA)... यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा.
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) ... यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.
प्रज्ञान पहले ही सो चुका था
चंद्रयान 23 अगस्त 2023 की शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा गया था. उस समय वहां पर सूरज उग रहा था. इसरो की प्लानिंग थी कि चांद के जिस हिस्से पर लैंडर-रोवर उतरें, वहां अगले 14-15 दिनों तक सूरज की रोशनी पड़ती रहे. यह पूरा समय विक्रम और प्रज्ञान ने ढंग से बिताया. अपना-अपना काम किया.
1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.
2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा.
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