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Sulli deals-Bulli bai ऐप: आरोपी को कोर्ट ने 'मानवीय आधार' पर दी जमानत, लोकसभा में उठा मुद्दा

jantaserishta.com
29 March 2022 8:51 AM GMT
Sulli deals-Bulli bai ऐप: आरोपी को कोर्ट ने मानवीय आधार पर दी जमानत, लोकसभा में उठा मुद्दा
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नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को सुल्ली डील और बुल्ली बाई ऐप का मुद्दा उठा. इन ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं. इस मामले में गृह मंत्रालय ने AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कुंवर दानिश अली के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य का विषय है.

दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी और दानिश अली ने सोशल मीडिया ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था. इस पर जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा, पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य का विषय है. कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​दोषियों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करेंगी. सुल्ली डील (Sulli deals) और बुल्ली बाई ऐप (Bulli bai) मामले में सभी आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.
गृह मंत्रालय का यह जवाब ऐसे वक्त पर आया, जब दिल्ली की कोर्ट ने हाल ही में बुल्ली बाई ऐप केस में आरोपी नीरज बिश्नोई और सुल्ली डील ऐप बनाने वाले ओमकारेश्वर को मानवीय आधारों पर जमानत दी है. कोर्ट ने कहा है कि आरोपी पहली बार के अपराधी हैं और उन्हें लगातार जेल में रहने से उनके कल्याण पर गलत असर पड़ेगा.
इतना ही नहीं ओवैसी और अली ने यह भी पूछा कि क्या नाबालिग लड़कियों के मामले में पॉस्को के तहत कार्रवाई की गई है. इस पर गृह मंत्रालय ने कहा, नाबालिग लड़कियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले सामने नहीं आए हैं.
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी और दानिश अली ने सवाल पूछा था कि क्या यह सच है कि सुल्ली डील जैसी सोशल मीडिया ऐप से विभिन्न राज्यों में मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न के मामले केंद्र सरकार के संज्ञान में आए हैं. इतना ही नहीं दोनों सांसदों ने कहा कि इस मामले में यूएन अधिकारियों ने भी भारत सरकार की आलोचना की है. इस पर सरकार ने कहा, हमें ऐसे कोई आधिकारिक बयान की जानकारी नहीं है.
अपने लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने मंगलवार को कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर राज्य के विषय हैं. राज्यों की यह प्राथमिकता है कि वे अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के जरिए अपराध रोकें, हिरासत में लें, जांच करें और दोषियों को सजा दिलाएं. कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​दोषियों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई कर रही हैं.

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