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महाराष्ट्र के बीड जिले में बेमौसम बारिश के कारण गन्ना श्रमिकों की हालत खराब हो गई है. लेकिन अब मजदूरों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकारी योजनाएं सिर्फ घोषणाओं तक सीमित हैं,हर विभाग का यही हाल है.महाराष्ट्र में गन्ना श्रमिकों के कल्याण के लिए अगस्त में राज्य सरकार ने सामाजिक न्याय विभाग विशेष सहायता विभाग के तहत लागू योजनाओं से लाभान्वित होने के लिए पहचान पत्र जारी करने का निर्णय लिया गया था.इन श्रमिकों के विकास छोड़िए इन्हें अभी तक साधारण पहचान पत्र का वितरण तक नहीं किया गया है.दूसरी तरफ बेमौसम बारिश से कई गन्ना मजदूरों के पास रहने के ये छत तक नही हैं.
इसिलए अब जिले में कृष्णा सहकारी चीनी मिल की तरफ से 5,000 गन्ना श्रमिकों को आवश्यक सामग्री वितरित की जा रही है.इसलिए सरकार को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि घोषणाओं से कुछ नही होता हैं.जमीनी अस्तर पर किसानों को मदद नही मिल पाता हैं.
बारिश में गन्ना मजदूरों की दुर्दशा
महाराष्ट्र के बीड जिले के पालकमंत्री और सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने जिले में घोषणा की थी कि राज्य के सभी गन्ना श्रमिकों को सामाजिक न्याय विभाग के विशेष सहायक के तहत एक डिजिटल पहचान पत्र जारी किया जाएगा.जिसके माध्यम से गन्ना श्रमिकों को निगम के अंतर्गत संत भगवान बाबा शासकीय छात्रावास योजना, स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का लाभ मिलेगा.लेकीन अब जब थ्रेसिंग सीजन समाप्त हो गया है तो सवाल यह है कि योजना का लाभ कैसे प्राप्त किया जाए क्योंकि श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हुआ हैं.अहमदनगर जिले में एक लाख से ज्यादा मजदूर हैं. लेकिन किसी भी मज़दूर को पहचान पत्र नहीं मिला हैं.
फैक्ट्री ने मजदूरों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ
हम हमेशा इस बारे में बात करते हैं कि चीनी मिलों द्वारा किसानों को कैसे लूटा जा रहा है.लेकिन कृषि सहकारी चीनी मिल जो कि कारखाने का एक हिस्सा है परेशान गन्ना श्रमिकों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है.फिलहाल इस समय बेमौसम बारिश से मजदूरों को परेशानी हो रही है. साथ ही खेतों में पानी जमा होने से गन्ने की कटाई भी बाधित है. इस कारखाने से कम से कम 5,000 श्रमिकों की मदद की जा रही है.
बेमौसम बारिश में कैसी थीं मजदूरों की स्थिति
बेमौसम बारिश से गन्ना मजदूरों को काफी नुकसान हुआ है.बारिश के कारण अस्थायी झोंपड़ियों में पानी भर जाता था.बारिश होने के कारण उन्हें गन्ने की कटाई करने से रोक दिया था.मज़दूरों ने बताया कि कोल्हापुर जिले में दो दिन से फैक्ट्रियां बंद थी. वही दूसरी ओर कारखानों के बंद होने से के परिवारों का भरण-पोषण कैसे करे अभी भी हमें रहने का ठिकाना नही हैं.
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