यूपी। अयोध्या मंदिर के एक पुजारी (60 साल) को कुछ समय से ठोस आहार लेने में दिक्कत होती थी. लेकिन धीरे-धीरे यह परेशानी बढ़ने लगी और फिर तरल आहार लेने में भी कठिनाई होने लगी. जांच कराई गई तब पता चला कि बुजुर्ग मरीज को आहार नली (Esophagus) का कैंसर है और वो भी स्टेज थ्री का कर्क रोग. ऐसे में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के करके पहले गांठ को छोटा किया गया और फिर मरीज को ऑपरेशन के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के कैंसर सर्जरी विभाग में रेफर किया गया.
कैंसर डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिव राजन ने बताया, इसका इलाज दूरबीन से ही होना संभव था और इसी के मद्देनजर ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया. डॉ. राजन ने बताया कि सामान्यत: इस ऑपरेशन में छाती को 15 से 20 सेंटीमीटर के चीरे से खोला जाता है या फिर दूरबीन से छाती में 4-5 छेद किए जाते हैं, और छाती में गैस भरी जाती है. वहीं, आहार नली को निकालने के लिए किसी एक छेद को लगभग 5 सेंटीमीटर बड़ा किया जाता है फिर उसे ऑपरेट किया जाता है. लेकिन देश में पहली बार डॉ. शिव राजन ने केवल 4 सेंटीमीटर के एक ही छेद से दूरबीन द्वारा इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर दिया. केजीएमयू दावा कर रहा है कि देश में पहली बार सिर्फ 4 सेंटीमीटर के एक ही छेद से ऑपरेशन किया गया. इसमें न ही गैस का प्रयोग किया गया और न ही छेद को बड़ा किया गया.
KGMU के प्रवक्ता डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि इस ऑपरेशन में 6 घंटे लगे और पेट से खाने के रास्ते की ट्यूब बनाकर दूरबीन द्वारा ही छाती में जोड़ा गया. मरीज भी अब पूरी तरह मुंह से खाने लगा है और दसवें दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. डॉ. सुधीर बताते हैं कि दूरबीन से छाती में एक छेद करके गर्दन में खाने के रास्ते को जोड़कर ऑपरेशन भी पहली बार डॉ. शिव राजन ने 2014 में केजीएमयू में किया था.
इस विधि से किए गए ऑपरेशन का विवरण डॉ. शिव राजन ने हाल ही में टोक्यो और जापान में संपन्न विश्वस्तरीय Conference of diseases of Esophagus (अन्नप्रणाली के रोगों का सम्मेलन) में करके केजीएमयू का नाम ऊंचा किया.