भारत

ड्रोन से ब्लड बैग की डिलीवरी का हुआ सफल ट्रायल, 35 किमी दूर ले गए ब्लड

jantaserishta.com
12 May 2023 12:20 PM GMT
ड्रोन से ब्लड बैग की डिलीवरी का हुआ सफल ट्रायल, 35 किमी दूर ले गए ब्लड
x

DEMO PIC 

नोएडा (आईएएनएस)| ड्रोन के जरिए ब्लड प्लाज्मा और जरूरत के अन्य सामान एक जगह से दूसरी जगह एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भिजवाने का सफल ट्रायल ग्रेटर नोएडा के जिम्स ने किया गया। ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) से लगभग 35 किमी दूर सेक्टर-62 स्थित जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में रक्त और प्लाज्मा सुरक्षित रूप से पहुंचाए गया। आईसीएमआर की देखरेख में हुए इस ट्रायल का देश में पहली बार सफल ट्रायल किया गया।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ओर से जिम्स में लगभग 15 दिन से यह ट्रायल चल रहा है। जे आई आई टी के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स की रिसर्च टीम एक स्थान से दूसरे स्थान तक ड्रोन के पहुंचने की निगरानी और संचालन कर रही है। रिसर्च के दौरान ये देखा गया कि जहां से इनको भेजा गया वहां से 35 किमी की दूरी तय करने के बाद लाल रक्त कोशिका, ताजा जमे हुए प्लाज्मा, प्लेटलेट्स की गुणवत्ता ठीक है या नहीं। इसके प्राथमिक रिजल्ट पाजीटिव आए हैं।
जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता और रिसर्चर का दावा है कि पहले फेज में थैलियां में रखे सभी रक्त उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर रही। मानकों के अनुसार अभी इसके कई चरण में ट्रायल होंगे। रिसर्च सफल रहा तो ड्रोन के जरिए अस्पतालों में रक्त, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स आदि पहुंचाए जा सकेंगे। इसके अलावा पैथोलॉजी में जरूरत के अनुसार जांच के लिए भी रक्त के नमूने भेजे जा सकेंगे।
ट्रायल के दौरान जिम्स और लेडी हाडिर्ंग अस्पताल से सेक्टर-62 तक ड्रोन से 10 यूनिट रक्त, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के सैंपल भेजे गए हैं। जिम्स से सेक्टर-62 तक की दूरी करीब 35 किलोमीटर की थी। इसी तरह लेडी हाडिर्ंग अस्पताल से भी ब्लड को जेपी इंस्टीट्यूट तक भेजा गया। पाया गया कि एम्बुलेंस से ब्लड को उसी जगह पहुंचने में लगभग सवा घंटे का वक्त लगा। वहीं, ड्रोन से ये दूरी महज 10 से 15 मिनट में पूरी हो गई।
जिम्स के डायरेक्टर डॉक्टर ब्रिगेडियर राकेश गुप्ता बताते हैं कि आने वाले वक्त में ड्रोन के जरिए आर्गन ट्रांसपोर्ट भी किया जा सकेगा। अभी एक जगह से दूसरी जगह आर्गन को ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार करना पड़ता है। इसमें काफी मशक्कत और काफी संसाधनों की जरूरत पड़ती है।
Next Story