नई दिल्ली. पहले वर्षों के संघर्ष, लगन और मेहनत के बलबूते अपना डॉक्टर (Doctor) बनने का सपना (Dream) पूरा किया. जब डॉक्टर बन गए और सरकारी नौकरी भी लग गई, तब अपने सपने की हकीकत को पीछे छोड़कर पिता की ख्वाहिश पूरी करने के लिए फिर मेहनत की और IPS बन गए. हम बात कर रहे हैं IPS डॉ. सचिन कुमार सिंघल की. चलिए जानते हैं उनके डॉक्टर से IPS बनने का सफर. आईपीएस डॉ. सचिन के पिता अनिल सिंघल जी का प्लास्टिक के दाने का बिज़नेस है. माँ गृहिणी हैं. उनके अलावा घर में दो छोटी बहन हैं. एक कि शादी हो गई है और दूसरी अभी पढ़ाई कर रही है. उनकी पत्नी डॉ. उर्वी अग्रवाल भी पैथोलॉजी की डॉक्टर हैं. सचिन का परिवार हरियाणा के खरकोदा गांव से है लेकिन कई वर्षों से वे दिल्ली में ही हैं.
सचिन शुरू से डॉक्टर ही बनना चाहते थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि वे सिविल सर्विसेज (Civil Service) में जाएं. सचिन ने कड़ी मेहनत और लगन से पहले अपना सपना पूरा किया. साथ में सिविल्स कई तैयारी भी शुरू की. उन्होंने 2014 में पुणे के सरकारी कॉलेज से MBBS किया. इसके बाद दिल्ली के दो सरकारी अस्पताल बाबू जगजीवन राम अस्पताल और दीपचंद बंधु अस्पताल में दो साल नौकरी (Job) भी की.
सचिन के पिता चाहते थे कि वे सिविल सर्विसेज में जाएं. इसलिए अपना सपना पूरा होने के बाद उन्होंने पिताजी की इच्छा पूरी करने के लिए मेडिकल (Medical) फील्ड छोड़ दिया. यूं तो वो पहले से ही सिविल्स कि तैयारी कर रहे थे, लेकिन फील्ड छोड़ने के बाद उसके लिए पूरी तरह फोकस (Focus) हो गए.
सचिन ने मेडिकल परीक्षा की तैयारी के दौरान ही 2013 में पहली बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी, लेकिन असफल रहे. दूसरी बार 2015 में प्रयास किया और इंटरव्यू (Interview) तक पहुंचे. लेकिन इससे आगे नहीं जा पाए. इसके बाद 2016 में फिर परीक्षा दी. इस बार वे सफल हुए और 2017 में 193वीं रैंक के साथ IPS बन गए. फिलहाल वे दिल्ली में DCP सिक्योरिटी पद पर कार्यरत हैं.
सचिन बताते हैं कि IPS बनने के बाद अब भी उनकी मेडिकल स्किल्स काफी काम आती हैं. वे समय-समय पर अपने स्टाफ के लिए मेडिकल कैम्प लगाते रहते हैं. साथ ही उन्हें हेल्थी और फिट रहने के टिप्स भी देते हैं. कोरोना (Covid-19) के दौर में उन्होंने वास्तव में खुद को frontline warrior के तौर पर महसूस किया. IPS डॉ. सचिन कुमार सिंघल सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों को सलाह देते हैं कि वो कभी हार नहीं मानें, निराश ना हों. ये सिर्फ एक परीक्षा है, पूरा जीवन नहीं. इसमें उतार-चढ़ाव आते रहेंगे. इसलिए अपना आत्मविश्वास (Confidence) हमेशा ऊंचा रखें.