यूपीएससी का सफर हर किसी के लिए काफी अनोखा होता है. कोई इंटरमीडिएट के बाद ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर देता है, तो कई लोग अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद इस फील्ड में आने की कोशिश करते हैं. कई लोग इंजीनियर, डॉक्टर की पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विस में आते हैं. आज आपको यूपी के गोरखपुर के रहने वाले धीरज कुमार की कहानी बताएंगे, जो कभी पेशे से डॉक्टर थे. उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया, जहां उन्होंने अपने जमे हुए करियर को छोड़कर यूपीएससी का रुख किया. वह कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.
धीरज पढ़ाई में काफी होशियार थे और इस वजह से उन्होंने मेडिकल फील्ड में जाने का मन बनाया. इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने एमबीबीएस की एंट्रेंस परीक्षा दी और उसे पास करके बनारस यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में एडमिशन ले लिया. उनकी मां गांव में रहती थीं और वह कई बार बीमार हो गईं. धीरज बनारस में अपनी पढ़ाई कर रहे थे और उनके पिता दूसरे शहर में नौकरी करते थे. धीरज ने अपने पिता के अधिकारियों से मिलकर पिता का ट्रांसफर होम टाउन में करने की गुहार लगाई. हालांकि उन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी. इससे धीरज काफी आहत हो गए और उन्होंने सोचा कि जब डॉक्टर की अधिकारी नहीं सुन रहे, तो भला आम आदमी की क्या सुनेंगे. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी में जाने का मन बनाया.
धीरज ने बनारस यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद एमडी की डिग्री भी हासिल कर ली. इस दौरान उनका करियर काफी अच्छा हो गया और उन्हें लाखों के पैकेज वाली नौकरी मिल गई. हालांकि पिता के ट्रांसफर की घटना ने उनकी जिंदगी में एक मोड़ ला दिया और उन्होंने यह सब छोड़कर आईएएस अफसर बनने की ठान ली. उनके लिए यह सब काफी आसान नहीं था. उनके पेरेंट्स ने भी उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी. लेकिन धीरज आईएएस बनने की ठान चुके थे. उन्होंने मन लगाकर मेहनत की और तैयारी के लिए बेंगलुरु चले गए. यहां तैयारी करने के बाद पहले ही प्रयास में 2019 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली. इस तरह डॉक्टर की डिग्री हासिल करने के बाद धीरज कुमार आईएएस बन गए.
धीरज यूपीएससी की तैयारी करने वाले अन्य कैंडिडेट्स को लगातार मेहनत करने की सलाह देते हैं. वे कहते हैं कि आप किस बैकग्राउंड से यहां आए हैं यह मायने नहीं रखता. आप मन लगाकर और अच्छी रणनीति बनाकर पढ़ाई करेंगे तो आपको यूपीएससी में सफलता जरूर मिलेगी. असफलता से घबराए नहीं और धैर्य रखें. पेपर की तैयारी में कोई कसर न छोड़ें. पेपर से पहले अपनी वीकनेस और स्ट्रैंथ को पहचानिए और उस पर काम करें. धीरज ने डेढ़ साल तक बेंगलुरु में यूपीएससी की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त की.