स्टडी में खुलासा: प्लास्टिक की सतह पर 8 दिन तक जिंदा रह सकता है ओमिक्रोन
दिल्ली। भारत सहित दुनिया भर में ओमिक्रोन ने तांडव मचा रहा है. भारत में कोरोना के हर रोज लाखों की संख्या में नए केस सामने आ रहे हैं, जबकि ओमिक्रोन के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. देश में ओमिक्रोन के मामले 10 हजार से ज्यादा हो चुके हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रोन का पता केवल जीनोम सीक्वेंसिंग से ही लगाया जा सकता है और जीनोम सीक्वेंसिंग भारत में जरूरत के अनुसार नहीं हो पा रही है, इसलिए हो सकता है कि ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो.
ओमिक्रोन को विशेषज्ञों ने डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम खतरनाक बताया है लेकिन इस वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए लगातार शोध किये जा रहे हैं. जापानी शोधकर्ताओं के अपने एक हालिया शोध में पाया कि ओमिक्रोन प्लास्टिक की सतहों और मानव त्वचा पर कोरोना वायरस के पुराने वेरिएंट्स की तुलना में अधिक समय तक जीवित रह सकता है. स्टडी के मुताबिक ओमिक्रोन इंसान की त्वचा पर 21 घंटे जबकि प्लास्टिक की सतह पर आठ दिन तक जिंदा रह सकता है. जापान के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट्स की पर्यावरण स्थिरता की जांच की. वैज्ञानिकों ने पाया कि वुहान वेरिएंट के मुकाबले अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमिक्रोन वेरिएंट त्वचा और प्लास्टिक पर दो गुने से भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकते हैं.
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस वेरिएंट की पर्यावरण स्थिरता काफी परेशान करने वाली है, क्योंकि यह संपर्क के जरिये फैलने के खतरे को बढ़ाते हैं. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि ओमिक्रोन वेरिएंट अन्य वेरिएंट के मुकाबले सबसे लंबे समय तक पर्यावरण में मौजूद रहता है और इसी वजह से इसका प्रसार तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि यह वेरिएंट जल्द ही डेल्टा वेरिएंट की जगह ले सकता है.