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अध्ययन में खुलासा: गर्भावस्था में कोरोना संक्रमण से बढ़ जाता है 'प्री-टर्म बर्थ' का खतरा, ये है वजह
Deepa Sahu
10 Aug 2021 5:56 PM GMT
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कोरोना की दूसरी लहर ने लगभग सभी उम्र के लोगों को संक्रमण का शिकार बनाया।
कोरोना की दूसरी लहर ने लगभग सभी उम्र के लोगों को संक्रमण का शिकार बनाया। डायबिटीज, हृदय रोग या हाई ब्लड प्रेशर जैसी कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए कोरोना की दूसरी लहर कई तरह की मुसीबतों का कारण बनकर आई। इन सब के अलावा कोरोना के संक्रमण को गर्भवती महिलाओं के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण माना गया। डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में संक्रमण के लक्षण माइल्ड ही होते हैं, हालांकि जिन महिलाओं में संक्रमण बढ़कर गंभीर रूप ले लेता है यह उनके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इसी से संबंधित हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि गर्भवती महिलाओं में कोरोना का संक्रमण कई अन्य तरह की जटिलताओं का भी कारण बन सकता है।
द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान कोरोना का संक्रमण समय से पहले बच्चे के जन्म के खतरे को बढ़ा सकता है। कुछ संक्रमित महिलाओं में समय से काफी ज्यादा पहले भी बच्चे के जन्म की स्थिति बन सकती है। आइए इस अध्ययन के बारे में आगे की स्लाइडों में विस्तार से जानते हैं।
गर्भकाल में कोरोना संक्रमण के खतरे
अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूसी) के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि गर्भकाल में कोरोना संक्रमण के कारण समय से काफी पहले बच्चे के जन्म का खतरा बढ़ जाता है। कुछ स्थितियों में गर्भावस्था के 32वें सप्ताह तक ही प्रसव की आवश्यकता पड़ सकती है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय संक्रमण की शिकार हुई 60 फीसदी महिलाओं में इस तरह की समस्याएं देखने को मिली हैं।
कोमोरबिडिटी वाली कोरोना संक्रमित गर्भवतियों में खतरा अधिक
शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन गर्भवती महिलाओं को पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह और या मोटापे की समस्या है, और वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाती हैं, ऐसी महिलाओं में समय से पहले बच्चे के जन्म का जोखिम 160 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यूसी सैन फ्रांसिस्को में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की प्रमुख लेखक डेबोरा कारसेक कहती हैं, गर्भवती महिलाओं में कोरोना का संक्रमण महिला और शिशु दोनों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। समय से बहुत पहले जन्म की समस्या को अध्ययन में सबसे आम पाया गया है।
गर्भवती को कोरोना से सुरक्षित रखना बेहद जरूरी
प्रोफेसर डेबोरा कारसेक कहती हैं, अध्ययन में जो परिणाम देखने को मिले हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना के संक्रमण से गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित रखना बहुत आवश्यक है। टीकाकरण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पाया कि अश्वेत महिलाओं में प्रीटर्म बर्थ का खतरा अधिक हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया में जुलाई 2020 से लेकर जनवरी 2021 के बीच बच्चों के जन्म का विश्लेषण किया। कुल 240,157 जन्म के आंकड़ों में से लगभग 9,000 (3.7 प्रतिशत) महिलाओं को गर्भावस्था में कोरोना के संक्रमण का निदान किया गया था। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि गैर कोविड महिलाओं के 8.7 प्रतिशत की तुलना में कोविड-19 वाली महिलाओं से समय से पहले बच्चे का जन्म दर 11.8 प्रतिशत रहा।
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के साथ कोमोरबिडिटी वाली गर्भवती महिलाओं में समय से पहले बच्चे के जन्म का खतरा अधिक होता है। प्रोफेसर कारसेक कहती हैं, इस संबंध में कई पहलुओं को समझने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है, जैसे गर्भावस्था के दौरान संक्रमण का समय या गंभीरता, समस्या को कितनी बढ़ा सकती है आदि। कारसेक कहती हैं, हमें उन तंत्रों को भी समझने की आवश्यकता है जो समय से पहले जन्म के जोखिम को बढ़ा देते हैं।
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