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उत्तराखंड में पेपर लीक और भर्ती घोटालों से भविष्य को लेकर छात्र चिंतित

jantaserishta.com
26 Feb 2023 6:31 AM GMT
उत्तराखंड में पेपर लीक और भर्ती घोटालों से भविष्य को लेकर छात्र चिंतित
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देहरादून (आईएएनएस)| उत्तराखंड पेपर लीक के चलते इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इन सब के बीच प्रदेश के मुखिया का इन घोटालों की जांच को लेकर दिया गया बयान खूब चर्चा में है। प्रदेश में हो रहे पेपर लीक मामले और भर्ती घोटालों के कारण प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई। जिसके बाद बेरोजगार युवा संघ के बैनर तले छात्रों ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया। छात्रों ने सरकार से परीक्षाओ में हो रही पेपर लीक पर निष्पक्ष जांच की मांग की। जिसके बाद प्रदर्शन कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच पथराव शुरू हुआ। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया। जिसका विरोध पूरे प्रदेश में जमकर हुआ।
वहीं पुलिस के लाठीचार्ज पर विपक्ष ने भी छात्रों को समर्थन दिया और सरकार को जमकर घेरा। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने तुरंत हालातों पर काबू पाने के लिए उत्तराखंड नकल विरोधी कानून को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा। जिसे राज्यपाल ने 11फरवरी को मंजूरी दे दी।
इस कानून में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें 10 साल की जेल के साथ ही 10 करोड़ के जुर्माने का भी प्रावधान है।
प्रदेश में हो रहे पेपर लीक और भर्ती घोटालों को लेकर युवा हो या फिर विपक्षी दल कांग्रेस, दोनों ही सरकार से प्रदेश में भर्ती परीक्षा में हो रही धांधली की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं है। सरकार भर्ती परीक्षा के घोटालों की सीबीआई जांच क्यों नहीं करना चाहती है, इसको लेकर बीते दिनों 20 फरवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक बयान आया। उन्होंने इसके पीछे कांग्रेस की बड़ी साजिश बताया।
सीबीआई जांच की मांग पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विपक्ष चाहता है कि स्थिति और खराब हो और परीक्षाएं स्थगित करा दी जाए, जिससे छात्रों का समय बर्बाद होगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विपक्ष चाहता है कि छात्र सड़कों पर उनके साथ विरोध करें और अध्ययन न करें।
धामी ने कहा कि वो भी सीबीआई जांच कराना चाहते हैं। लेकिन, एक बार भर्ती का मामला सीबीआई के पास चला गया तो पांच से सात साल तक कोई परीक्षा नहीं होगी। सरकार चाहती है कि एक बार नए कैलेंडर के लिए भर्ती का काम पूरा हो जाए तो वो सीबीआई जांच कराएंगे। इस मामले में हाईकोर्ट का पहले भी निर्णय आ चुका है और माना है कि जो जांच चल रही है, वह सही दिशा में है।
यूकेएसएसएससी और यूकेपीएससी मामलों में हो रहे घोटालों की चर्चा अब हर जगह हो रही है।
यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामला :
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) भर्ती घोटाले ने प्रदेश को कलंकित कर दिया, यूकेएसएसएससी ने स्नातक स्तर के 916 पदों के विज्ञापन निकालकर पिछले साल 4 और पांच दिसंबर को परीक्षा आयोजित की थी। तीन पालियों में आयोजित इस परीक्षा में तकरीबन 1 लाख 90 हजार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया और 916 परीक्षार्थी सफल हुए। बाद में परीक्षा को लेकर पेपर लीक की शिकायतें सामने आने लगीं। कई प्रतियोगी छात्रों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर परीक्षा में अनियमितताओं की जांच की मांग की। शिकायतकर्ताओं ने कुछ वॉट्सऐप स्क्रीनशॉट और कई अन्य सबूत भी सीएम के सामने रखे और मामले में तत्काल कार्रवाई करने की अपील की।
जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने मामले में हस्तक्षेप किया और कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए। इसके बाद 22 जुलाई को मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में पुलिस ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी। एसटीएफ ने कमान हाथ में लेते ही ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों का दौर शुरू कर दिया। गिरफ्तार आरोपियों ने जो जानकारियां दीं, वह चौंकाने वाली थीं।
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि सबसे पहले मनोज जोशी और तुषार चौहान नाम के शख्स ने अभ्यर्थियों को ये पेपर 15-15 लाख रुपये में बेचा। इसके बाद अपने हिसाब से दाम तय कर पेपर अभ्यर्थियों को बेचे गए। बताया गया कि पेपर खरीदने के लिए लोगों ने लोन लिया और अपनी जमीनें तक बेच दीं। लाखों रुपये खर्च कर पेपर खरीदने वाले कई अभ्यर्थी परीक्षा में पास भी हो गए। कई असफल भी रहे। एसटीएफ की पड़ताल के मुताबिक, अभी तक संदिग्ध 150 से ज्यादा अभ्यर्थियों के नाम सामने आए हैं। यह संख्या 200-250 के आसपास भी पहुंचने का अनुमान है।
परीक्षाओं में धांधली का खेल:-
एसटीएफ इन मामलों की जांच कर रही थी कि इसी दौरान उत्तराखंड के कई अन्य सरकारी भर्तियों की परीक्षा में धांधली के मामले सामने आने लगे। इनमें सचिवालय रक्षक भर्ती, कनिष्ठ सहायक ज्यूडिशियरी, फॉरेस्ट गार्ड आदि की परीक्षाएं शामिल हैं। इन सभी मामलों की जांच एसटीएफ कर रही है। बीते 16 सितंबर को यूकेएसएसएससी का पेपर लीक कराने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड सैयद सादिक मूसा और उसके करीबी योगेश्वर राव को यूपी पुलिस के सहयोग से लखनऊ से दबोच लिया गया।
मामले में पेपर लीक कराने वाले गिरोह के अलावा यूकेएसएसएससी पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं। इसके बाद एसएसएससी के चेयरमैन एस. राजू ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। 13 अगस्त को आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी को शासन की ओर से निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा अनुभाग अधिकारी और समीक्षा अधिकारियों को भी पद से हटा दिया गया। साथ ही मामले में संलिप्तता को देखते हुए 16 अन्य कर्मचारियों को भी शासन ने इधर-उधर किया है।
साथ ही पेपर लीक मामले और गैंगस्टर एक्ट के आरोपित जगदीश गोस्वामी, चंदन मनराल और बलवंत रौतेला को जमानत मिली। कोर्ट ने तीनों के देश छोड़ने पर पाबंदी लगाई है।
वहीं, एसटीएफ (विशेष कार्य बल) ने वीपीडीओ आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कान्याल और पूर्वी परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरियाल को गिरफ्तार किया है। यूकेएसएसएससी द्वारा 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा में हुई अनियमितताओं के सिलसिले में यह गिरफ्तारियां हुई हैं। कहा जा रहा है कि घोटाले में शामिल यूकेएसएसएससी अधिकारियों के खिलाफ एसटीएफ द्वारा की गई यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
यूकेएसएसएससी ने वीपीडीओ भर्ती परीक्षा छह मार्च, 2016 को 13 जिलों के 236 केन्द्रों पर आयोजित की थी। परीक्षा परिणाम 30 मार्च को घोषित हुए थे। तत्कालीन अवर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए समिति गठित की गई थी।
जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा रद्द कर दी गई। और मामले को 2019 में सतर्कता विभाग, देहरादून को सौंप दिया गया। सतर्कता विभाग ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया था।
वहीं अभी तक इस मामले में 41 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिसमें पूरे साजिश का मास्टरमाइंड भी शामिल है। इस प्रकरण के अब तक कुल 22 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। जबकि 19 अभी जेल में हैं।
यूकेपीएससी पेपर लीक मामला :
एक तरफ भ्रष्टाचार के विरुद्ध धामी सरकार का सख्त रवैया जारी है तो अब इस कड़ी में एई-जेई भर्ती परीक्षा में धांधली करने वालों का राजफाश कर नौ आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। लेखपाल भर्ती की भांति इस परीक्षा का भी पेपर लीक हुआ था, जिसे लेखपाल भर्ती में धांधली करने वाले गिरोह ने ही अंजाम दिया।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने इसी वर्ष आठ जनवरी को लेखपाल भर्ती की लिखित परीक्षा कराई थी। परीक्षा के दो दिन बाद ही 10 जनवरी को उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने पेपर लीक होने का भंडाफोड़ करते हुए संजीव चतुवेर्दी व उसकी पत्नी रितु समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था।
उनसे 41 लाख रुपये की नकदी भी बरामद हुई थी। इस मामले की जांच हरिद्वार की एसपी क्राइम रेखा यादव के नेतृत्व में गठित एसआइटी को सौंपी गई। एसआइटी को प्राथमिक जांच में पता चला कि आरोपियों ने एई-जेई की भर्ती परीक्षा में भी धांधली की थी।
मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आने पर उन्होंने जांच के निर्देश दिए। छानबीन में पेपर लीक होने की बात सामने आने पर एसआइटी के निरीक्षक बीएल भारती ने कनखल थाने में आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। लेखपाल भर्ती मामले में फिलहाल 12 आरोपी जेल में बंद हैं।
उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों में एक के बाद एक भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने के कई मामले सामने आए हैं। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पटवारी भर्ती लिखित परीक्षा के बाद एक और भर्ती परीक्षा भी सवालों के घेरे में आ गई थी। पटवारी भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद वर्ष 2021-22 में हुई एई और जेई की भर्ती परीक्षा भी सवालों के घेरे में आ गई थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी ने इन परीक्षाओं की जांच भी शुरू कर दी थी।
जांच में पता चला कि जेल जा चुके अनुभाग अधिकारी संजीव चतुवेर्दी और शिक्षक राजपाल ने गठजोड़ कर आयोग के दूसरे अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार के साथ मिलकर एई-जेई के प्रश्नपत्र भी लीक कराये। अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार ने ही पेपर सेट किया था। एसआईटी जांच में सामने आया कि लक्सर और ज्वालापुर हाईवे स्थित जुर्स कंट्री में अभ्यर्थियों को प्रश्न रटवाया गया था।
एसआईटी हरिद्वार द्वारा की गयी जांच के बाद निलंबित अनुभाग अधिकारी संजीव चतुवेर्दी और दूसरे अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार, संजीव चतुवेर्दी की पत्नी रितु, शिक्षक राजपाल, संजीव कुमार उर्फ संजीव दुबे, नितिन चौहान, भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल, सुनील सैनी, मनीष कुमार सहित 9 लोगों को आरोपी बनाते हुए संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। जिनमे से पटवारी भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने के आरोप में संजीव चतुवेर्दी, उसकी पत्नी रितु, राजपाल और उसका भतीजा संजीव दुबे, मनीष कुमार पहले ही जेल में बंद हैं।
प्रदेश में हो रहे भर्ती घोटालों को लेकर छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। और वो सरकार और मुख्यमंत्री धामी से निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।
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