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छात्रा को 2 लाख मिलेंगे, BJP व‍िरोधी नारे के बाद किया गया था गिरफ्तार

jantaserishta.com
3 March 2022 4:49 AM GMT
छात्रा को 2 लाख मिलेंगे, BJP व‍िरोधी नारे के बाद किया गया था गिरफ्तार
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जानिए पूरा मामला।

नई दिल्ली: तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission) ने राज्य सरकार को छात्र लुइस सोफिया (Lois Sophia) को 2 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है, जिसे 2018 में तूतीकोरिन एयरपोर्ट पर तम‍िलनाडु भाजपा (BJP) के पूर्व अध्यक्ष डॉक्‍टर तमिलिसाई सुंदरराजन के सामने भाजपा विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस बात की जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने दी है. तमिलनाडु के राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में छात्र सोफिया की ग‍िरफ्तारी पर नाराजगी भी जाहिर की है. उसने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों ने उसे गिरफ्तार किया था, उनसे राशि वसूल कर छात्रा को यह मुआवजा राशि दी जाए.

सोफिया लगभग चार साल पहले मैथ सब्‍जेक्‍ट से कनाडा में पोस्‍ट ग्रेजुएशन कर रही थीं. उस समय उनका छुट्टियों के लिए भारत में आना हुआ, जहां वह अपने प‍िता एए सैमी और मम्‍मी के साथ चेन्नई से थूथुकुडी जा रही फ्लाइट में थीं. इस फ्लाइट में तमिलिसाई भी मौजूद थे. भाजपा नेता को देखते ही सोफिया कथित तौर पर अपनी सीट से उठ गईं और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. थूथुकुडी एयरपोर्ट पर पहुंचने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें डॉ. तमिलिसाई से माफी मांगने की धमकी दी और उनके माता-पिता को भी एयरपोर्ट से बाहर जाने से रोक दिया.
बाद में थूथुकुडी एयरपोर्ट के पुलिस निरीक्षक निथ्या ने मामले में हस्तक्षेप किया और भाजपा कार्यकर्ताओं को शांत किया, बाद में पुल‍िस सोफिया को पुदुकोट्टई पुलिस स्टेशन ले गई, जबकि डॉ सैमी को स्टेशन के बाहर प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया. पुलिस अधिकारी ने उस दिन दोपहर 1.30 बजे तक सात घंटे तक पूछताछ की थी.
राज्य मानवाधिकार आयोग को सौंपी गई एक याचिका में डॉ. सैमी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी बेटी को प्रताड़ित किया और उसे कुछ कागजों पर हस्‍ताक्षर करने के ल‍िए कहा गया. बाद में उन्‍हें तीसरे न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाद में सोफिया को पेट में दर्द हुआ, इसलिए उन्हें थूथुकुडी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
डॉ. सैमी ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग से संपर्क किया. उन्‍होंने कहा, 'पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई से उनकी बेटी के खिलाफ फर्जी मामला दर्ज करने के बाद मानसिक पीड़ा हुई और बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उलट न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.'
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