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गरीबी से संघर्ष और पढ़ाई का जुनून: आम बेच रही थी मासूम, 1.2 लाख रुपये में बिके, ऑनलाइन पढ़ाई की इच्छा होगी पूरी

jantaserishta.com
28 Jun 2021 4:41 AM GMT
गरीबी से संघर्ष और पढ़ाई का जुनून: आम बेच रही थी मासूम, 1.2 लाख रुपये में बिके, ऑनलाइन पढ़ाई की इच्छा होगी पूरी
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कोरोना की दूसरी लहर ने जहां कई लोगों की जिंदगी छीन ली वहीं मध्यम से लेकर गरीब वर्ग को इसकी बुरी मार झेलनी पड़ी। कई लोगों की नौकरी गई तो कई की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। न्यूज 18 नेटवर्क की खबर के अनुसार जमशेदपुर की 11 साल की तुलसी कुमारी भी उन्हीं में से एक है। लेकिन तुलसी का गरीबी से संघर्ष और पढ़ाई के प्रति जुनून देखकर हर कोई हैरान है। दरअसल तुलसी को एक एंड्रॉइड मोबाइल चाहिए था जिसके जरिए वह ऑनलाइन क्लास ले सके। इसके लिए उसने लॉकडाउन के दौरान आम बेचना शुरू कर दिया।

इस मोबाइल के लिए उसे 10 हजार से अधिक रुपये की जरूरत थी जो कि जल्दी से मिलना मुश्किल था। लेकिन अब उसकी पढ़ाई की यह इच्छा पूरी हो गई है बल्कि उसे अधिक पैसे मिल गए। दरअसल मुंबई के व्यापारी और वैल्यूएबल एडुटेनमेनर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अमेया हेटे को उसका पढ़ाई के प्रति जुनून पसंद आया और उन्होंने 12 आम 1.2 लाख रुपये में खरीद लिए।
पढ़ाई के लिए दिया पूरे साल का इंटरनेट रिचार्ज
हेटे ने बच्ची को न सिर्फ 13000 का मोबाइल दिलाया बल्कि पूरे साल के लिए पढ़ाई के लिए उसका इंटरनेट रिचार्ज भी करा दिया। तुलसी का कहना है कि अब वह मन लगाकर अच्छी तरह से पढ़ाई कर सकेगी।
अमेया हेटे द्वारा बेटी तुलसी की मदद करने से उसके पिता बेहद खुश हैं। तुलसी के पिता श्रीमल कुमार का कहना है कि इस बुरे समय में नरेंद्र उनके लिए भगवान के रूप में आए और अब उनकी बेटी आगे की पढ़ाई कर सकेगी। इस मौके पर तुलसी की मां पद्मिनी देवी ने नरेंद्र हेटे का शुक्रिया अदा किया। वहीं अब इससे तुलसी बेहद खुश है। उसका कहना है कि अब उन्हें आम नहीं बेचने पड़ेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके आम इतने मीठे होंगे कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी बदल जाएगी।
'नहीं चाहते की बेटी आम बेचे'
वहीं तुलसी की मां ने कहा कि वह कभी नहीं चाहती कि आगे उसकी बेटी को आम बेचना पड़े। उसके पिता ने बताया कि वह पढ़ाई में बहुत तेज और मेहनती है इसलिए वह उसे खूब पढ़ाना चाहता है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते दफ्तर से लेकर पढ़ाई तक सबकुछ मोबाइल और लैपटॉप तक सीमित हो गया है। ऐसे में हर किसी के लिए ये सब सुविधाएं आसान नहीं हैं।


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