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पेट्रोल- डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का कड़ा विरोध, केरल को कतई कबूल नहीं, बताई ये वजह
jantaserishta.com
16 Sep 2021 5:52 PM GMT
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केरल ने गुरुवार को कहा कि वह पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का कड़ा विरोध करेगा। राज्य सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव को बिलकुल मंजूर नहीं करेगी।
केरल सरकार का कहना है कि इससे राज्य का राजस्व और कम हो जाएगा। इसके बजाए केंद्र सरकार दोनों तेल पर अपना कर घटाए और लोगों को राहत दे। बता दें, केंद्रीय उत्पाद शुल्क व राज्यों का वैट मिलाकर ईंधन के खुदरा मूल्यों को लगभग दोगुना कर देते हैं। यदि इन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो दाम तो जरूर कम होंगे, लेकिन राज्यों की कमाई बुरी तरह प्रभावित होगी।
पीटीआई से चर्चा में केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने कहा कि राज्य सरकर पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के अधीन लाने का कड़ा विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें केंद्र द्वारा उपकर बढ़ाने के कारण आसमान पर पहुंच गई हैं। यदि केंद्र सरकार उपकर घटा दे तो इनके दाम हो सकते हैं।
बालगोपाल ने कहा कि यदि पेट्रोल व डीजल जीएसटी के अधीन लाए गए तो राज्य सरकार को हर साल 8000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जून में केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जीएसटी काउंलिस से कहा था कि वह इन तेलों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे।
ये पांच चीजें हैं जीएसटी के बाहर
बता दें, देश में 1 जुलाई 2017 से देशभर में एक समान वस्तु व सेवा कर प्रणाली यानी जीएसटी प्रणाली लागू की गई है। हालांकि इससे पांच चीजों- कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल व एटीएफ को मुक्त रखा गया है। बता दे, 17 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक संभावित है। इसमें पेट्रोल व डीजल समेत कुछ अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है। केरल की तरह कुछ और राज्य भी इसका विरोध कर सकते हैं।
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