भारत

शिक्षा विभाग का कड़ा निर्देश, छात्रों के नामों का मजाक उड़ाना नहीं चलेगा, नहीं होगा इन शब्दों का इस्तेमाल

jantaserishta.com
21 Oct 2024 2:42 AM GMT
शिक्षा विभाग का कड़ा निर्देश, छात्रों के नामों का मजाक उड़ाना नहीं चलेगा, नहीं होगा इन शब्दों का इस्तेमाल
x

सांकेतिक तस्वीर

शिक्षा विभाग ने अब पूरी तरह से इन मामलों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.
भागलपुर: भागलपुर समेत पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में होने वाली अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी में अबतक शिक्षक ही संबंधित कक्षा के छात्रों की क्लास में विकास की रिपोर्ट प्रस्तुत करते थे, लेकिन अब छात्र भी अपने शिक्षकों की खूबियां और कमियों को उजागर करेंगे। इससे एक ओर संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक समेत अन्य अधिकारियों को शिक्षकों द्वारा छात्रों पर दिये जा रहे ध्यान और उनके शैक्षणिक स्तर का आकलन करेंगे तो दूसरी ओर जिन शिक्षकों को और ज्यादा प्रशिक्षण की जरूरत होगी उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसको लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है।
स्कूलों में छात्रों के नामों का मजाक उड़ाना या उन्हें तोड़-मरोड़ कर बोलना भी प्रतिबंधित होगा। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में कड़ा निर्देश जारी किया है। गौरतलब है कि कई बार स्कूलों में शिक्षक और छात्र बच्चों का उपनाम रख लेते हैं। जैसे पढ़ाई में कमजोर छात्र को गधा या उल्लू कमजोर याददाश्त वाले छात्र को मंदबुद्धि आदि कहकर पुकारा जाता है। इसके अलावा कुछ शिक्षक बच्चों के नाम भी बिगाड़कर बुलाते हैं। जैसे-आलोक को आलोकवा आदि। इससे छात्रों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और इसका उनकी शैक्षणिक क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। शिक्षा विभाग ने अब पूरी तरह से इन मामलों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। सरकारी स्कूलों में कक्षा में पढ़ाई में तेज छात्र ही नहीं, बल्कि कमजोर छात्रों को भी मॉनीटर बनाया जाएगा।
मॉनीटर का चयन रोटेशन पद्धति से होगा। जिससे हर महीने किसी तेज छात्र और फिर किसी कमजोर छात्र को मॉनीटर बनने का मौका मिलेगा। मॉनीटर उन छात्रों से संपर्क करेगा जो स्कूल नहीं आते और उन्हें स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जबकि कक्षा में मध्यांतर (टिफिन का समय) स्कूल छोड़ने वाले छात्रों पर रोक लगेगी। इसके साथ ही अब पीटीएम (पैरेंट टीचर मीटिंग) में सिर्फ छात्रों की बात नहीं होगी। अब छात्र भी अपने शिक्षकों की खूबियों और कमियों के बारे में बताएंगे। बच्चों के फीडबैक के आधार पर प्रधानाध्यापक स्कूल की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।
डीईओ राजकुमार शर्मा ने कहा कि स्कूल में प्रबंधन व्यवस्था सही करने के साथ ही छात्र-शिक्षकों की उपस्थिति, पढ़ाई का माहौल सहित अन्य व्यवस्था लागू की जा रही है।
Next Story