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जानें पूरा मामला।
नीमच (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के नीमच जिले में नगर पालिका परिषद की बैठक चर्चाओं में है। नपाध्यक्ष और अधिकारी लोहे के पिंजरे में बैठे, तो वहीं पार्षदों को उसके बाहर बिठाया गया। इस बैठक में न केवल हंगामा हुआ बल्कि कई महिला पार्षदों सहित कई सदस्य उस लोहे की 10 फुट ऊंची दीवार को भी पार कर गए। नगर पालिका परिषद की दूसरी बैठक हंगामेदार रही। इस बैठक का नजारा दूसरी बैठकों से जुदा था क्योंकि नपाध्यक्ष स्वाति चोपड़ा अधिकारियों के साथ एक तरफ बैठी थी तो दूसरी तरफ पार्षद दोनों के बीच में एक 10 फुट ऊंचा लोहे का जाल लगाया गया था।
इस बैठक में कुछ ही मिनटों में 55 प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी गई, इससे पार्षद नाराज हो गए और उन्होंने शहर की पेयजल वितरण व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों को उठाया और हाथ में तख्तियां लेकर नारेबाजी भी की। इतना ही नहीं कई पार्षद तो उस लोहे की जाली पर चढ़ गए तो वहीं कई पार्षदों ने उस जाली को लांघ दिया और नपाध्यक्ष व अधिकारियों के सामने भी पहुंच गए।
नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश पाटीदार ने कहा है कि नगर पालिका परिषद नीमच ने पार्षदों को रोकने के लिए जाली रुपी पिंजरा लगा दिया, परिषद हाल में पिंजरा लगाना या जाली लगाना एक सामान्य घटनाक्रम नहीं है। इसे किसी भी नियम, कानून और व्यवस्था का समर्थन प्राप्त ही नहीं हो सकता।
उन्होंने आगे कहा, नगर पालिका परिषद की शक्ति परिषद में होती है और परिषद की शक्ति पार्षदों में होती है, ऐसे में पार्षदों को जाली लगाकर रोकना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कतई उचित कदम नहीं है।
पाटीदार का कहना है कि नपाध्यक्ष की तरफ से अनुशासन के जो तर्क दिए जा रहे है उन्हें भी मान लिया जाए तो अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर पार्षदों को जाली लगाकर रोकने की बजाय पार्षदों की बातें सुनकर, उनकी समस्याओं का निराकरण कर उन्हें रोका जाना चाहिए। पिंजरा लगाना मात्र पार्षदों का ही अपमान नहीं है बल्कि यह जनता का अपमान है। जनता के विश्वास पर गहरी चोट है और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का एक बड़ा कदम है।
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