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युवा IAS की कहानी: NCERT की किताबें, अखबार आदि का लिया सहारा....ऐसे मिली सफलता

Admin2
3 Dec 2020 3:10 PM GMT
युवा IAS की कहानी: NCERT की किताबें, अखबार आदि का लिया सहारा....ऐसे मिली सफलता
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केरल के कोल्लम जिले में स्थ‍ित कडक्कल कस्बे के अरुण एस नायर आज एक नजीर बनकर उभरे हैं. ऐसे तमाम प्रतिस्पर्ध‍ियों को उनसे सीखना चाहिए कि किस तरह गांव के सरकारी स्कूल से पढ़कर उन्होंने पहले डॉक्टरी फिर यूपीएससी की परीक्षा पास की. उन्होंने यूपीएससी 2019 की परीक्षा में 55वीं रैंक हासिल की है. आइए जानें उन्होंने ये कैसे कर दिखाया.

डॉ अरुण एस नायर मूल रूप से केेेरल के रहने वाले हैं. कोल्लम के सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की. वहीं डॉक्टरी की परीक्षा में उन्होंने स्टेट फोर्थ रैंक हासिल की. इसके बाद एमबीबीएस डिग्री 2017 में पूरी की. फिर वहां से यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया. एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखता था लेकिन उनका सपना डॉक्टरी में आने के बाद बदल गया. बता दें कि डॉ अरुण के पिता सेना से रिटायर हैं और मां हाउसवाइफ हैं, वहीं बहन अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं.

अरुण ने तीसरे अटेंम्प्ट में इस परीक्षा को पास किया. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पहली बार तब दी थी, जब वो अपनी मेडिकल की पढ़ाई के फाइनल इयर में थे. तभी अचानक उनके मन में यूपीएससी ज्वाइन करने का ख्याल आया था. इसके पीछे की वजह वो खुद बताते हैं. तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल से एमबीबीएस पूरा करने वाले अरुण ने द हिंदू से बातचीत में बताया कि हाउस सर्जेंसी के दौरान ही मैंने सिविल सेवा में करियर के बारे में सोचना शुरू कर दिया था. उस समय तक मुझे चिकित्सा पेशा थोड़ा नीरस लग रहा था और मैं कुछ अधिक विविधतापूर्ण और चुनौतीपूर्ण करना चाहता था.

गांव में पले-बढ़े और एक सरकारी स्कूल में पढ़े अरुण ने कहा कि आमतौर पर मलयालम माध्यम के छात्र कम आत्मविश्वास महसूस करते हैं, खासकर जब यह उनके अंग्रेजी बोलने वाले कौशल की बात आती है. मुझे भी शुरुआत में हिचकिचाहट हुई, लेकिन जल्द ही इस पर काबू पा लिया.

अरुण कहते हैं कि अगर इंसान के पास जुनून और दृढ़ संकल्प है तो कुछ भी उसके रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकता. उन्होंने भी डॉक्टरी पूरी करने के बाद तीसरे प्रयास में ये परीक्षा निकाली. कई लोग एक या दो प्रयास में ही टूट जाते हैं. ऐसे में जब अरुण के सामने डॉक्टरी का करियर था, तब भी वो अपने जुनून में अड़े रहे और तीसरे प्रयास में इसे कर दिखाया. अरुण एस नायर की स्ट्रेटजी की बात करें तो उन्होंने चिकित्सा विज्ञान को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था. उस वक्त उनका पक्का इरादा था कि वो मडिकल साइंस को ही अपने ऑप्शनल में लेंगे. लेकिन उन्हें इसकी कोचिंग नहीं मिल पाई, जिसके चलते इस विषय को उन्होंने सेल्फ स्टडी के जरिये ही तैयार किया.

अरुण ने एक इंटरव्यू में कहा कि मैंने इस एग्जाम के बारे में टीचर्स से जाना कि कैसे इसके सिलेबस को समझकर तैयारी करनी चाहिए. मैंने कम से कम से दो साल की तैयारी करके इसे पूरा किया, इसके लिए मैंने टीचर्स, एनसीईआरटी की किताबें, अखबार आदि का सहारा लिया. कितने भी उतार चढ़ाव आए हों, लेकिन मैंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा. अरुण ने इसके लिए कोई शेड्यूल नहीं बनाया, वो कहते हैं कि मैंने कोई टाइमफ्रेम बनाकर नहीं पढ़ा, मेरा मानना है कि हार्डवर्क से ज्यादा स्मार्टवर्क काम करता है. कभी 14 घंटे भी तो कभी दो तीन घंटे भी तैयारी की.

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