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12 साल के लड़के शौर्य की स्टोरी, 65 दिन लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रहा, फिर...

jantaserishta.com
25 Dec 2021 9:02 AM GMT
12 साल के लड़के शौर्य की स्टोरी, 65 दिन लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रहा, फिर...
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नई दिल्‍ली. कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के कारण कुछ लोग लंबे समय समय के लिए बीमार हुए. इनमें से अधिकांश को कोरोना वायरस ने फेफड़ों (Lung Disease) की बीमारी दी है. ऐसा ही एक 12 साल का लड़का शौर्य (Shaurya) है. वह लखनऊ का रहने वाला है. उसे भी कोरोना वायरस संक्रमण (Covid 19 Infection) हुआ था. लेकिन उस समय जांच में यह पता नहीं चल पाया था. उसका इलाज वायरल निमोनिया (Pneumonia) के तौर पर किया गया. उसके फेफड़ों में गंभीर बीमारी हो गई थी. लेकिन अब वह पूरी तरह स्‍वस्‍थ्‍य है. वह 65 दिन लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम (Life Support System) पर रहा. हैरानी वाली बात यह है कि वह बिना फेफड़ों के ट्रांसप्‍लांट के ही ठीक हो गया है. माना जा रहा है कि यह भारत और एशिया का ऐसा पहला केस है.

शौर्य को अगस्‍त में कोरोना से संक्रमित होने के बाद फेफड़ों की गंभीर बीमारी हुई थी. उसके फेफड़ों में इंफेक्‍शन हो गया था. लखनऊ में डॉक्‍टरों ने उसके माता पिता को उसके फेफड़ों के ट्रांसप्‍लांट की सलाह दी थी. इसी बीच उसके माता-पिता उसे इलाज के लिए हैदराबाद ले गए. उसे इलाज के लिए लखनऊ से एयरलिफ्ट करके हैदराबाद ले जाया गया था. वहां कृष्‍णा इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्‍टरों ने उसका इलाज शुरू किया था. वहां उसे ईसीएमओ नामक लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था. वह 65 दिन इस पर रहा.
ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रहने के 65 दिन बाद शौर्य ठीक हो गया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार वह इस समय अस्‍पताल में फिजियोथेरेपी कर रहा है. डॉक्‍टरों के मुताबिक उसे जल्‍द ही छुट्टी दे दी जाएगी. बच्‍चे के ठीक हो जाने पर उसकी मां रेणु श्रीवास्‍तव ने डॉक्‍टरों का आभार जताया है. वहीं शौर्य के पिता राजीव शरण लखनऊ में वकील हैं. उनका कहना है कि लखनऊ में ईसीएमओ की सुविधा नहीं थी. मुझे इस बारे में कुछ पता भी नहीं था. उन्‍होंने बच्‍चे की जान बचाने के लिए डॉक्‍टरों का धन्‍यवाद किया है.
शौर्य को पहले वेंटिलेटर पर रखा गया था. इसे बाद उसे एक्‍स्‍ट्राकोरपोरील मेम्‍ब्रेन ऑक्‍सीजनेशन यानी ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था. इस तकनीक के तहत एक बाहरी मशीन में शरीर के खून को आक्‍जीनेट करने के लिए भेजा जाता है और उससे कार्बन डाईऑक्‍साइड हटाई जाती है. इसी के जरिये 65 दिनों में शौर्य ठीक हुआ है. उसे फेफड़े ट्रांसप्‍लांट कराने की जरूरत नहीं पड़ी.
इससे पहले चेन्‍नई के एक 56 साल के व्‍यक्ति को भी 109 दिनों में बिना फेफड़े ट्रांसप्‍लाट किए ईसीएमओ और वेंटिलेटर के जरिये ठीक किया गया था. लेकिन शौर्य पूरे एशिया में पहला बच्‍चा है, जिसे इतने लंबे समय तक ईसीएमओ पर रखकर स्‍वस्‍थ किया गया है. डॉक्‍टरों का कहना है कि शौर्य को कोरोना की वजह से मल्‍टी ऑर्गन इंफेक्‍शन हुआ था.
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