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उनके सैंपल लिए जा रहे हैं, कि कहीं लोग कोरोना की चपेट में तो नहीं आ रहे हैं?
पलवल. हथीन विधानसभा के गांव चिल्ली में रहस्यमयी बुखार (Mysterious Fever) के कारण पिछले 10 दिनों में आठ बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ये मौतें डेंगू बुखार के कारण हो रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से मौतों की पुष्टि नहीं की है. गांव में बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गांव की सुध ली है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अब गांव में स्वास्थ्य कर्मियों की टीमें घरों में जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं. साथ ही डेंगू और मलेरिया की जांच भी शुरू कर दी गई है. विभाग कोविड जांच भी कर रहा है. उनके सैंपल लिए जा रहे हैं, कि कहीं लोग कोरोना की चपेट में तो नहीं आ रहे हैं?
रहस्यमय बुखार की चपेट में गांव के दर्जनों बच्चे आए हुए हैं. इनमें से कुछ बच्चों का इलाज अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा है. उपमंडल के चिल्ली गांव में बुखार का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. गांव के दर्जनों बच्चे बुखार की चपेट में हैं. बच्चों के अलावा बड़ों में बुखार के लक्षण देखे गए हैं. पिछले कई दिनों से बुखार के मरीजों की संख्या गांव में बढ़ने से गांव में दहशत फैलने लगी है.
ग्रामीणों का कहना है कि बुखार के कारण प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, जिनकी रिकवरी न होने पर मौतें हुई है. ऐसा अक्सर डेंगू बुखार में ही होता है. उनका कहना है कि अगर समय रहते स्वास्थ्य विभाग गांव की सुध ले लेता तो बच्चों को मौत से बचाया जा सकता था. वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वायरल बुखार में भी प्लेटलेट्स कम होना आम बात है. गांव के सरपंच नरेश कहना है कि पिछले 10 दिनों में बुखार के कारण गांव में आठ बच्चों की मौत हो चुकी है और करीब 50 से 60 बच्चे अभी भी बुखार की चपेट में हैं, जिनका उपचार चल रहा है.
4000 की आबादी के इस गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं. यहां पर स्वास्थ्य कर्मी सालों साल तक नहीं आते, जिससे लोग जागरूक हो सके. वहीं ग्रामीणों ने पेयजल की पाइप लाइनों से रबड की पाइप डालकर घरों में लगाई हुई हैं. ये लाइनें दूषित पानी से होकर गुजरती है. घरों में सप्लाई के साथ दूषित जलापूर्ति होती है. वहीं गलियों में साफ सफाई की व्यवस्था भी ठीक नहीं. गलियों में मच्छर पनप रहे हैं. नतीजतन लोगों को बीमार होने पर डाक्टरों पर इलाज के लिए भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ रही है.
एसएमओ डॉ विजय कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य के लिए सफाई बेहद जरूरी है. गांव में घर-घर जाकर बुखार से पीड़ित लोगों की जांच की जा रही है. गांव के सरपंच के घर पर एक ओपीडी भी शुरू करा दी गई है जहां लोगों की मलेरिया, ड़ेंगू और कोरोना की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान लोगों के घरों में टीम को पानी में मच्छरों के लार्वा मिले है. उन्होंने कहा कि गांव में बच्चों की मौतें डेंगू से हुई है, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. कुछ बच्चों की मौत नलहड़ मेडिकल कॉलेज में भी हुई है. उसके लिए वहां के डॉक्टरों से संपर्क किया जा रहा है कि ताकि मौत का सही कारण पता चल सके.
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