भारत
राज्य सभी स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा दें, शौचालय इस्तेमाल करने लायक हों: शिक्षा मंत्रालय
jantaserishta.com
22 Dec 2022 10:07 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे देशभर के अपने स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा तैयार करें। इन स्कूलों में हाथ धोने के लिए साबुन भी उपलब्ध होना चाहिए। इसके साथ छात्रों को स्वच्छता की शिक्षा देने के लिये शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जाए। यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफर्मेशन सिस्टम फॉर एडूकेशन (यूडाइस) रिपोर्ट 2021-22 में दर्ज है कि शौचालयों तथा हाथ साफ करने की सुविधाओं में कुछ खामियां हैं। अब केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि इन सभी खामियों को अंतिम सीमा तक दुरुस्त किया जाए। इसके अलावा, साबुन सहित हाथ धोने की सुविधायें सभी स्कूलों में तैयार की जाए। यह भी जरूरी है कि स्वच्छता के सम्बंध में सभी बच्चों को शिक्षित किया जाए। इस उद्देश्य के लिये हर स्कूल में कम से एक शिक्षक को स्वच्छता शिक्षा में प्रशिक्षित किया जाए, जो दिलचस्प गतिविधियों के जरिए बच्चों को प्रशिक्षित करे। साथ ही साफ-सफाई की आदतों पर जोर देते हुये सामुदायिक परियोजना चलाई जाए।
स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में साफ-सफाई की अच्छी आदतें डालने के लिये एनसीईआरटी ने पूरक पाठ्यक्रम में स्वच्छता पर एक अध्याय जोड़ा है। राज्यों से आग्रह किया गया कि वे स्वतंत्र रूप से कार्यरत नल से जलापूर्ति समाधानों तथा सरल, सतत सौर समाधानों के प्रावधानों में तेजी लायें।
शिक्षा मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, नीति आयोग, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त परामर्श-पत्र (परामर्शी-एडवाइजरी) में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई की सुविधाओं में सुधार, सुरक्षित पेयजल के प्रावधान तथा बुनियादी अवसंरचना को दोबारा कार्यशील बनाना सरकार की प्राथमिकता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्कूलों में सभी शौचालय काम करने की स्थिति में हों। बहरहाल, इनमें से कई शौचालयों को सिंगल पिट से डबल पिट में बदला जाए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कुछ कार्यक्रमों को स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण और जल जीवन मिशन को अभियान-स्वरूप में क्रियान्वित किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण में खुले में शौच से मुक्ति तथा ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस कार्य को अंतिम परिणति तक पहुंचाने के क्रम में लक्ष्य तय किया गया है कि कोई भी स्कूल इस परिधि से बाहर छूटने न पाये।
परामर्श में यह भी कहा गया है कि जल जीवन मिशन के तहत स्कूलों, आगनवाड़ी केंद्रों, आश्रम शालाओं में सुरक्षित पेयजल आपूर्ति का प्रावधान करना सरकार की उच्च प्राथमिकता है, ताकि बच्चों का अच्छा स्वास्थ्य और आरोग्य सुनिश्चित हो सके। इस महžवपूर्ण पहल को अभियान स्वरूप में दो अक्टूबर, 2020 को शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य था सुरक्षित पेयजल आपूर्ति को, खासतौर से महामारी के दौर में, सुनिश्चित कर बड़े बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना। अब तक यूडाइस प्लस 2021-22 के अनुसार, लगभग 10.22 लाख सरकारी स्कूलों में से पेयजल सुविधा 9.83 लाख (लगभग 96 प्रतिशत) स्कूलों में उपलब्ध करा दी गई है
परामर्श में उल्लिखित है कि राज्यों को यह छूट दी गई है कि वे स्कूलों के लिये ग्रामीण जलापूर्ति अवसंरचना तैयार होने का इंतजार किये बिना स्वतंत्र रूप से नल से जलापूर्ति समाधान उपलब्ध करा दें। साथ ही सरल और सतत सौर समाधान भी उपलब्ध कराये जा सकते हैं।
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