3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान, CDS बिपिन रावत के निधन पर राज्य सरकार ने की घोषणा
CDS बिपिन रावत के असामयिक निधन पर उत्तराखंड में तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है. वहीं पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के गांव सैणा का माहौल अपने सपूत जनरल बिपिन रावत के निधन से गमगीन हो गया है. कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं. इस गांव में केवल उन्हीं का परिवार निवास करता है.
रावत ने बताया कि वह किसी काम से कोटद्वार बाजार गए हुए थे लेकिन जैसे ही उन्हें घटना की सूचना मिली, वह घर की ओर लौट आये. उन्होंने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं और सबकी आंखें आसुंओं में डूबी हैं. रूंधे गले से उनके 70 वर्षीय चाचा ने बताया कि वह आखिरी बार अपने गांव थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे जहां वह कुछ समय ठहर कर उसी दिन वापस चले गए थे और इस दौरान उन्होंने कुलदेवता की पूजा की थी. उनके चाचा ने बताया कि उसी दिन उन्होंने अपनी पैतृक भूमि पर एक मकान बनाने की सोची थी और कहा था कि कि वह जनवरी में सेवानिवृत्त होने के बाद यहां मकान बनाएंगे और कुछ समय गांव की शांत वादियों में व्यतीत करेंगे.
उन्होंने बताया कि बिपिन गरीबों के प्रति बड़े दयालु थे और बार बार उनसे कहते थे कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने क्षेत्र के गरीबों के लिए कुछ करेंगे ताकि उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके. उनके मन में ग्रामीण क्षेत्र से हुए पलायन को लेकर भी काफी दुःख रहता था. उनका अपने गांव और घर से काफी लगाव था और बीच—बीच में वह उनसे फोन पर भी बात करते थे. जनरल रावत ने अपने चाचा को बताया था कि वह अप्रैल 2022 में फिर गांव आएंगे. आँखों से बहते आंसुओं को पोछते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उनके भतीजे की हसरतें अधूरी रह जाएंगी.
तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर आर्मी का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था. इसमें जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना के 14 लोग सवार थे. इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है, जबकि एक गंभीर रूप से घायल है. बता दें कि बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, यानी CDS थे.