
शिमला। राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर ज्यादा फोकस बनाने के लिए शुरू किए गए क्लस्टर सिस्टम को लेकर अब सरकार ने रिपोर्ट मांगी है। शिक्षा सचिव इस प्रणाली के लागू होने की गति की समीक्षा करेंगे, ताकि नए शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले कमियों को दूर किया जा सके। इस सिस्टम …
शिमला। राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर ज्यादा फोकस बनाने के लिए शुरू किए गए क्लस्टर सिस्टम को लेकर अब सरकार ने रिपोर्ट मांगी है। शिक्षा सचिव इस प्रणाली के लागू होने की गति की समीक्षा करेंगे, ताकि नए शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले कमियों को दूर किया जा सके। इस सिस्टम के दो मुख्य उद्देश्य हैं। एक शिक्षा विभाग में मौजूद संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना और दूसरा शिक्षकों की कमी को बेहतर इस्तेमाल के जरिए दूर करना। विधानसभा के विंटर सेशन के दौरान शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कांगड़ा जिला की बैठक धर्मशाला में की थी। इस बैठक में उन्हें भी कुछ नए अनुभव हुए थे। एक तरफ प्राइमरी टीचर उनकी उपस्थिति या छुट्टी की जानकारी प्रिंसीपल को देने की व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं और दूसरी तरफ स्कूल प्रिंसीपल यह कह रहे हैं कि सिर्फ छुट्टी की सूचना देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उन्हें एडवांस में इसका पता होना चाहिए, ताकि वैकल्पिक शिक्षक का इंतजाम किया जा सके। इसलिए संभव है कि आने वाले दिनों में क्लस्टर सिस्टम को ठीक करने के लिए हल्के संशोधन भी हों।
इतना तय है कि राज्य सरकार इस प्रणाली को मजबूती देने के लिए तैयार है। शिक्षा सचिव यह भी देखना चाहते हैं कि नई भर्ती करने से पहले वर्तमान शिक्षकों के बेहतर इस्तेमाल के लिए क्लस्टर सिस्टम कितना कारगर साबित हो रहा है। बहुत से जिलों से रिपोर्ट अच्छी है। यहां तक कि टीजीटी और स्कूल लेक्चरर कैडर के शिक्षक भी नए सिस्टम के अनुसार खुद काम कर रहे हैं। सभी जिलों से शिक्षा सचिव ने यह रिपोर्ट मांगी है कि कितने जिलों में इस सिस्टम के अनुसार अब काम शुरू हो गया है। इसकी एक वजह यह है कि नया शिक्षा सत्र फरवरी में शुरू हो रहा है। नए सत्र से इस प्रणाली को और मजबूत किया जाना है। एक कैंपस के प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में अब मॉर्निंग असेंबली, मिड-डे मील और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी एक ही होगी। स्कूलों को रीडिंग रूम, लाइब्रेरी, खेल का सामान, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट से लेकर आईसीटी लैब भी आपस में शेयर करनी है। बच्चों के लर्निंग आउटकम को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग इसे जरूरी मान रहा है। हिमाचल में सरकार बेशक अभी प्री-नर्सरी टीचर की भर्ती की पॉलिसी फाइनल नहीं कर पा रही है, लेकिन चंडीगढ़ के शिक्षा विभाग ने एनटीटी टीचर्स की 100 पदों की भर्ती शुरू की है। इसमें एनटीटी और अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन प्रोग्राम में दो साल का डिप्लोमा ही मांगा जा रहा है। एक विकल्प एनसीटीई रिकॉग्नाइज्ड संस्थाओं से नर्सरी में बीएड का भी है। हिमाचल में भी सरकार एनसीटीई के नाम के मुताबिक ही भर्ती करना चाहती है, लेकिन बहुत से अभ्यर्थी एक साल के डिप्लोमा को भी मान्य करने की मांग कर रहे हैं।
