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फाइल फोटो
मुनव्वर फारूकी को 'सुप्रीम' राहत
हिंदू देवी-देवताओं पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में लंबे समय से जेल में बंद कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत दी है. अदालत ने कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को अंतरिम जमानत दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 28 जनवरी के उस फैसले पर भी रोक लगा दी है जिसमें फारूकी को जमानत देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा था कि सौहार्द्र को बढ़ावा देने उनका संवैधानिक कर्तव्य है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद के एक ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी उस प्रोडक्शन वारंट पर भी रोक लगा दी है, जो फारूकी पर एक एफआईआर के सिलसिले में जारी किया गया था. मुनव्वर फारूकी ने इस मामले में दर्ज याचिकाओं को एक साथ करने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एमपी सरकार से जवाब मांगा है. ये जवाब फारूकी द्वारा दायर याचिकाओं के खिलाफ मांगा गया है. फारूकी के खिलाफ यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र प्रदेश में भी केस दर्ज किया गया है. उसने अपनी याचिका में इन सभी एफआईआर को एक साथ करने और उसे रद्द करने की मांग की है.
मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही फारूकी के वकील सौरभ कृपाल ने कहा कि ये अत्याचार (victimisation) का केस है. उन्होंने कहा कि मुनव्वर फारूकी के खिलाफ लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं और उसे गिरफ्तार करने के दौरान 2014 में अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया है.
बता दें कि मुनव्वर फारूकी समेत चार अन्य लोगों को बीजेपी विधायक के बेटे की शिकायत पर एक जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. विधायक के बेटे ने शिकायत दर्ज कराई थी कि फारूकी ने नववर्ष पर इंदौर में आयोजित एक कॉमेडी शो के दौरान हिंदू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
28 जनवरी को हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मुनव्वर फारूकी की जमानत याचिका को ठुकरा दिया और कहा था कि देश में सौहार्द्र को बढ़ावा देना उसका संवैधानिक कर्तव्य है. अदालत ने इस दौरान एक अन्य आरोपी की याचिका को भी ठुकरा दिया था.
हाई कोर्ट ने कहा था कि वह केस के मेरिट पर तो टिप्पणी नहीं करेगा, लेकिन गवाहों के बयान, मौके से जब्त सामान और इसको ध्यान में रखते हुए कि अभी जांच चल रही है आरोपी को बेल नहीं दी जा सकती है.
एमपी हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि मुनव्वर फारूकी, कुछ अन्य आरोपियों के साथ सोशल मीडिया पर हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ जानबूझकर भद्दी टिप्पणियां कर रहे थे, ये लोग पिछले 18 महीने से हिन्दुओं की भावना को आहत कर रहे थे, जबकि इनके खिलाफ कई सोशल मीडिया पर टिप्पणियां की गई थी और इसे गलत साबित करने के लिए भी कुछ नहीं है. इसके अलावा आरोपियों पर कोविड महामारी के दौरान बिना अनुमति के शो करने का आरोप था.
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