श्रीनगर कोर्ट ने की अलगाववादी बिट्टा कराटे के खिलाफ सुनवाई की तारीख तय
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दिल्ली-श्रीनगर: एक स्थानीय अदालत ने कश्मीरी पंडित कारोबारी सतीश टिक्कू की 1990 में हुई हत्या के मामले में अलगाववादी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने के लिए शुक्रवार को एक अर्जी पर विचार किया और मामले की सुनवाई के लिए चार मई की तारीख मुकर्रर की। टिक्कू के परिवार की ओर से अर्जी दाखिल करने वाले अधिवक्ता उत्सव बैंस ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें (टिक्कू के परिजनों को) अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद है।
यह पूछे जाने पर कि क्या कराटे द्वारा टिक्कू की हत्या करने की बात कबूल करने का वीडियो अदालत में प्रस्तुत किया गया था, वकील ने कहा कि ऐसा बहस के दौरान किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम बहस के दौरान ऐसा करेंगे, क्योंकि उस वीडियो में कराटे को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उसने टिक्कू को मार डाला, क्योंकि वह (टिक्कू) आरएसएस का सदस्य था। यह एक संज्ञेय अपराध की स्वीकारोक्ति है।’’
उन्होंने कहा कि दूसरे पक्ष ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय ने घाटी में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के मामलों की जांच के आदेश की मांग करने वाले गैर-सरकारी संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ की एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी। वकील ने, हालांकि दलील दी कि आपराधिक कानून के तहत मृतक के परिजनों को आपराधिक मुकदमा चलाने का अनुरोध करने का अधिकार है।
उन्होंने दलील दी, ‘‘टिक्कू का परिवार शीर्ष अदालत में नहीं गया था। हमने ‘रूट्स इन कश्मीर’ की जनहित याचिका के सिलसिले में शीर्ष अदालत में कोई हलफनामा दायर नहीं किया है। इसलिए जनहित याचिका के निस्तारण और उसे खारिज करने के आदेश की वजह से आपराधिक मुकदमे की सुनवाई के हमारे अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।’’
कराटे ने 1991 में एक साक्षात्कार के दौरान स्वीकार किया था कि उसने 1990 के दशक में घाटी में उग्रवाद के चरम पर होने के दौरान टिक्कू सहित कई पंडितों को मार डाला था। कराटे अब प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का नेता है। कराटे ने हालांकि बाद में कहा कि उसने किसी की हत्या नहीं की थी। उसने दावा किया था कि उसने केवल दबाव में आकर ‘‘हत्याओं की बात स्वीकार’’ की थी।
कराटे को जून 1990 में जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह 2006 तक जेल में रहा। उसके बाद उसे अनिश्चितकालीन जमानत पर रिहा कर दिया गया। कराटे को आतंकवाद के लिए धन की व्यवस्था करने के आरोप में 2019 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा फिर से गिरफ्तार किया गया था।