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चीन के मकड़जाल में फंस बर्बाद हुआ श्रीलंका: देश में फौज का पहरा, स्थिति भयावह, भारत आ रहे लोग
jantaserishta.com
23 March 2022 10:05 AM GMT
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नई दिल्ली: श्रीलंका में बेकाबू होती महंगाई और आर्थिक संकट से मजबूर लोग अपना देश छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. ये लोग अपना देश छोड़कर भारत का रुख कर रहे हैं. मंगलवार को 16 श्रीलंकाई तमिल नागरिक अपना देश छोड़ काफी पैसे देकर नाव से तमिलनाडु के तट पर पहुंचे. इन लोगों में चार महीने का एक नवजात भी शामिल था.
श्रीलंका के जाफना और तलाईमन्नार से ये लोग दो ग्रुप में तमिलनाडु पहुंचे. पहले ग्रुप में तीन बच्चों समेत छह लोग शामिल थे. श्रीलंका से आए इन लोगों में एक कपल भी शामिल था जिसका चार माह का एक बेटा है. ये सभी लोग फाइबर की नाव से तट पर पहुंचे जहां तटरक्षक बलों ने उन्हें रेस्क्यू किया. दूसरे ग्रुप में पांच बच्चों और तीन महिलाओं समेत 10 लोग शामिल थे.
6 लोगों के ग्रुप ने भारत में अधिकारियों से बताया कि सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं. बेरोजगारी भी चरम पर है, इसलिए उन्होंने अपना देश छोड़ दिया.
शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि वे जाफना और तलाईमन्नार के रहने वाले हैं. उनसे पूछताछ करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी 6 श्रीलंकाई तमिल नागरिक रात करीब 10 बजे श्रीलंका से एक नाव में सवार हो गए. सोमवार को आधी रात के बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा को पार कर लिया. जो नाविक उन्हें लेकर आया था उसने लोगों को एक छोटे से द्वीप पर छोड़ दिया और झूठ कह दिया कि रामेश्वरम से उन्हें कोई लेने के लिए आएगा.
जाफना से तमिलनाडु आए रंजीत कुमार के बेटे 24 वर्षीय गजेंद्रन ने कहा कि उन्होंने नाव की सवारी के लिए 10 हजार रुपए दिए थे. ये पैसे उन्हें किसी रिश्तेदार ने दिए थे.
गजेंद्रन ने पत्रकारों को बताया, 'मैं जाफना में एक कैजुअल वर्कर हूं. हाल ही में मुझे नौकरी से निकाल दिया गया. खाने-पीने की सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं. मेरे पास एक पैसा नहीं है. रामेश्वरम में मेरे कुछ रिश्तेदार हैं. इसलिए, मैंने यहां आने का फैसला किया...'
गजेंद्रन की 23 वर्षीय पत्नी मैरी क्लेरिन ने कहा कि उन्होंने सोमवार दोपहर को ही खाना खाया था. उन्होने कहा, 'हम शाम 4 बजे से किनारे पर नाव का इंतजार कर रहे थे. मेरा बेटा निजाथ चार महीने का है. सोमवार से हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था.'
ग्रुप में शामिल 28 वर्षीय देवरी ने कहा कि उसके दो बच्चे हैं- 9 साल का एस्तेर और 6 साल का मूसा. उन्होंने कहा, 'श्रीलंका में स्थिति खतरनाक थी. मजदूर लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है. मैं काम करना चाहती थी लेकिन मैं अपने दो बच्चों को अकेला नहीं छोड़ सकती. इसलिए, मैंने भारत आने का फैसला किया जहां मेरे कुछ रिश्तेदार हैं.' महिला ने बताया कि उसे नाव से भारत आने के लिए 10 हजार रुपए देने पड़े हैं.
मंडपम के भारतीय तटरक्षक बल की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें श्रीलंका से आने वाले परिवारों की सूचना दी गई. विज्ञप्ति में कहा गया कि सभी लोगों की पहचान के बाद मंडपम लाया गया और पूछताछ की गई. पुलिस के हवाले से अधिकारियों ने बताया कि सभी श्रीलंकाई नागरिकों को रामेश्वरम के नजदीक मंडपम के रिफ्यूजी कैंप में भेज दिया गया है.
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मन्नार के एक कार्यकर्ता वी एस शिवकरण ने चेतावनी दी कि ये पलायन की शुरुआत है. उन्होंने कहा, 'बहुत से लोग जिन्हें मैं जानता हूं, वो श्रीलंका से पलायन करने की योजना बना रहे हैं. इनमें से कुछ लोगों के रिश्तेदार भारत के रिफ्यूजी कैंपों में मौजूद हैं और कुछ लोगों की जान-पहचान के लोग तमिलनाडु में रह रहे हैं. लोग अपने आने वाले कल को लेकर डरे हुए हैं.'
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