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कोरोना की तीसरी लहर से पहले खास सावधानी, जवानों के इलाज के लिए तैयार 6000 बाल रोग डॉक्टरों को दे रहे ट्रेनिंग

Deepa Sahu
28 May 2021 11:21 AM GMT
कोरोना की तीसरी लहर से पहले खास सावधानी, जवानों के इलाज के लिए तैयार 6000 बाल रोग डॉक्टरों को दे रहे ट्रेनिंग
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कोरोनावायरस का प्रकोप धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है.

कोरोनावायरस का प्रकोप धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है. इस महामारी ने पहली लहर के तुलना में दूसरी लहर के दौरान वयस्कों और बच्चों को ज्यादा प्रभावित. इस बीच भारतीय बाल रोग अकादमी (IAP) ने एक बड़ा कदम उठाया है और उसका इंटेंसिव केयर चैप्टर पिछले छह महीनों से वयस्क रोगियों को संभालने के लिए 6000 बाल रोग विशेषज्ञों को ट्रेनिंग दे रहा है और उन्हें संभावित तीसरी लहर के लिए तैयार कर रहा है.

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर के अध्यक्ष डॉ धीरेन गुप्ता ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए हम वयस्कों के लिए बाल रोग विशेषज्ञों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. साथ ही साथ स्थिति से निपटने के लिए नर्सिंग स्टाफ को भी ट्रेनिंग देने के लिए नामांकन कर रहे हैं. हम नहीं जानते कि कोरोना की तीसरी लहर कितनी गंभीर हो सकती है. हालांकि इसके लिए हमारी योजना यह है कि बाल रोग विशेषज्ञ वयस्कों का इलाज करने में सक्षम हों और वयस्क चिकित्सक बाल रोग का इलाज करने में सक्षम हों.
बाल रोग विशेषज्ञ का यह भी मानना ​​है कि देश के पूरे हेल्थ केयर सिस्टम को बिना कंपार्टमेंटलाइज़ेशन के सुधार किया जाना चाहिए. कहने का मतलब है कि एक बाल रोग विशेषज्ञ को वयस्कों का इलाज करने में सक्षम होना चाहिए और वयस्क चिकित्सकों को बाल रोग का इलाज करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि सभी एमबीबीएस होते हैं और बेसिक ट्रेनिंग के बारे में जानते हैं.
विशेषज्ञ ने कहा, 'पहली लहर के दौरान विशेषज्ञों ने देखा कि बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद ज्यादातर एसिंप्टोमेटिक थे और उनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखा और शायद ही कभी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हुई. हालांकि, इस साल छह महीने से एक वर्ष तक के बच्चे बीमार पड़े और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी. उनमें से ज्यादातर को तेज बुखार, भोजन का खराब सेवन, खांसी और सर्दी और सुस्ती थी जो पहली लहर के दौरान नहीं देखी गई थी.'
'तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका नहीं'
अभी हाल ही में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने कहा था कि बच्चों में भी वयस्कों के जितना ही संक्रमण का खतरा प्रतीत होता है, लेकिन 'तीसरी लहर में विशेष रूप से बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका नहीं है.' साथ ही साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कोविड-19 की संभावित आगामी लहर में बच्चों में ज्यादा संक्रमण फैलेगा या उनमें ज्यादा मामले आएंगे. अगर हम पहली एवं दूसरी लहर के आंकड़ों को देखते हैं तो यह काफी मिलता-जुलता है और यह दिखाता है कि बच्चे सामान्य तौर पर सुरक्षित हैं और अगर उनमें संक्रमण होता भी है तो उनमें मामूली संक्रमण आता है और वायरस ज्यादा नहीं बदला है इसलिए इस तरह के संकेत नहीं हैं कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे.
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