लेखक : - वकील मनोज कुमार शर्मा
दिल्ली हाईकोर्ट
दुनिया के हर रिलीजन मे ब्राह्मण होते है , नाम उनके अलग होते है
पादरी, बिशप, पोप इसाइओ के ब्राह्मण है , मौलाना मौलवी मुसलमानों के है , बौद्धभिक्षु बौद्धों के है
हर रिलीजन के ब्राह्मण सबसे ज्यादा सम्मान प्राप्त करते है
जापान कोरिया वाले राजा भी दलाई लामा के सामने झुकते है , उनके धर्म गुरु के सामने
वैसे ही अमेरिका का राष्ट्रपति भी उनके पादरी पोप के सामने झुकते है
हर रिलीजन के ब्राह्मण दान पर निर्भर होते है , कोई मौलाना मौलवी नौकरी नहीं करता दुकान नहीं चलाता , न कोई पादरी करता है , न कोई बौद्ध वाला , सब दान दक्षिण पर ही चलते है
जो बात हिन्दू धर्म के ब्राह्मण को दूसरे से अलग करती है , वो है ज्ञान का स्तर | बाकी का ज्ञान केवल उनकी धार्मिक बातों तक सीमित होता है
बाकी सिर्फ एक किताब वाले है , हिन्दू धर्म वालों के पास पूरा पुस्तकालय है
हिन्दू धर्म का ब्राह्मण ज्ञानी इसलिए नहीं होता की वो ब्राह्मण है , वो ज्ञानी इसलिए होता है क्योंकि हिन्दू धर्म ही ज्ञान का महासागर है
अगर कोई वेदों को पढ़ता है , तो वो ब्राह्मण होने के साथ साथ गणितज्ञ, ज्योतिषी, डॉक्टर, योद्धा , वैज्ञानिक सब हो सकता है जैसे
आयुर्वेद ऋग्वेद का एक उपवेद है , तो ऋग्वेद पढ़ने वाला ब्राह्मण एक चिकित्सक भी हो जाता है
ज्योतिष , यजुर्वेद का हिस्सा है तो यजुर्वेद पढ़ने वाला , गणित भी पढ़ता, astronomy भी पढ़ लेता है
धनुर्वेद, युद्धशास्त्र , यजुर्वेद का हिस्सा है इसलिए कोई ब्राह्मण युद्ध कौशल मे भी निपुण हो सकता है
संगीत की शिक्षा सामवेद मे है , तो सामवेद का ज्ञात अपने आप संगीत का ज्ञानी हो जाता है
अगर कोई महाभारत पढ़ता है वो वो राजनीति मे कुशल हो जाता है , महाभारत से बड़ा राजनीति का ग्रंथ दुनिया मे कोई नहीं
तो यही कारण है की हिन्दू धर्म का ब्राह्मण आल राउंडर होता है , हर क्षेत्र मे झंडे गाड़ने वाला होता है | दूसरे वालों को अपनी किताब के बाहर कुछ नहीं आता |
एसे ग्रंथों के अध्ययन के कारण ब्राह्मण बौद्धिक रूप से बहुत आगे होता है दूसरे के मुकाबले
और ब्राह्मण बुद्धिबल से देश की रक्षा सदियों से करता रहा है चाहे वो चाणक्य के रूप मे , विश्वनाथ भट्ट के रूप मे , बाजीराओ पेशवा के रूप मे, सावरकर के रूप मे , शंकराचार्य के रूप मे , बालगंगाधर तिलक , चंद्रशेखर आजाद के रूप मे
इसलिए वो सबके निशाने पर भी होता है , मुगल अपने युद्ध की सफलता इस से नापते थे की कितने किलो जनेऊ इकट्ठे हुए
अंग्रेजों, पूर्तगलियों के निशाने पर होते थे , इस्लामीक शासकों और फिरंगी फ्रांसिस जेवीयर ने कहा था , ब्राह्मण न होते तो मे पूरे भारत को ईसाई बना देता ।
लॉर्ड मैकाले ने भी बहुत कोशिश की थी भारत देश में ब्राह्मण समाज को खत्म करने की...
एक और बात समझने की है , हर धर्म पंथ रिलीजन से कनेक्ट होने का एक माध्यम भी ब्राह्मण होते है
बच्चे का जन्म हुआ आप चर्च , मस्जिद , मंदिर जायेगे वहा के पादरी , मौलाना, पंडित से जो भी करवाएंगे
विवाह हुआ तो भी उनकी उपसतिथि मे करवाएंगे , मृत्यु हुई तो अंतिम क्रिया भी करवाएंगे
सोचिये की अगर एसा दुशप्रचार कर दिया जाए की , हर पादरी, मौलाना ठग है, ये लोग लूटते है , अंधविश्वास फैलाते है , भ्रष्ट है
तो क्या होगा ? धीरे धीरे इनके लोग फिर चर्च मस्जिद जाना बंद कर देंगे , शादिया फिर सिर्फ कोर्ट मे हो जाएंगी , मरने पर बॉडी एसे ही दिसपोज कर दी जाएगी और इस सबके कारण धीरे धीरे वो रिलीजन ही खत्म हो जाएगी |
तो अब आप ये भी समझ गए होंगे की क्यों पंडितों , मंदिरों का इतना दुशप्रचार करवाया जाता है |
और इसलिए jnu मे ब्राह्मण भारत छोड़ो के नारे लगते है , किसान आंदोलन मे लगते है , caa के विरोध मे लगते है
और जहा मौका मिले वहा ब्राह्मण टारगेट किए जाते है और बहुत बड़ी फंडिंग आती है विदेशों से ये करने के लिए
जहा भी मैं यह हिन्दू धर्म के ब्राह्मण की , की है वो सब कर्म से ब्राह्मण लोगों की , की है सिर्फ नाम वालों की नहीं
ब्राह्मण कोई सिर्फ जाती से नहीं हो जाता , ज्ञान , अध्यात्म और त्याग न हो तो वो ब्राह्मण नहीं होता
दासीपुत्र विदुर एक महापंडित ब्राह्मण थे, अर्थशास्त्र के जनक चाणक्य भी एक ब्राह्मण थे, वेदों के ज्ञाता महाकवि चर्मकार रविदास भी ब्राह्मण है , स्वामी विवेकन्द भी है
और अन्य एसे सैकड़ों अनगिनत ब्राह्मणों ने सनातन हिंदू धर्म और संस्कृति की मशाल को विपरीत परिस्थितियों में भी प्रज्वलित रखा।
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