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सरकारी डॉक्टर की पोल विधानसभा अध्यक्ष ने खोली

Nilmani Pal
1 Feb 2023 12:17 PM GMT
सरकारी डॉक्टर की पोल विधानसभा अध्यक्ष ने खोली
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रीवा। सरकारी डॉक्टर बेलगाम हो गए हैं। निजी प्रैक्टिस के लिए नियम तोड़ रहे। मोटी सैलरी लेने वाले डॉक्टर निजी अस्पताल में सेवाएं दे रहे। रिश्तेदारों के नाम से अस्पताल चल रहे। निजी क्लीनिक, अस्पताल में फुल सेवाएं दे रहे। सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही और भर्रेशाही मरीजों की जान ले रही। अस्पताल प्रबंधन डॉक्टरों पर अंकुश नहीं लगा पाया। कई डॉक्टरों ने चंद सालों में ही करोड़ों के अस्पताल खोल लिए हैं। अब अस्पताल में सिर्फ मरीजों को जुटाने और उन्हें इलाज के लिए खुद के अस्पताल भेजने का काम कर रहे हैं। इसी भर्रेशाही के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष ने भी मोर्चा खोला है।

धरती के भगवान व्यावसायिक हो गए हैं। रुपयों के लिए सरकार को धोखा दे रहे। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर घरों में प्राइवेट प्रैक्टिस करने के साथ ही निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। इस दोहरे काम से कोई भी डॉक्टर अछूता नहीं है। संजय गांधी अस्पताल की हालत सबसे खराब है। यहां चंद डॉक्टर ही ऐसे हैं जो निजी प्रैक्टिस से तौबा किए हुए हैं। इसके अलावा अधिकारी की कुर्सी पर बैठे डॉक्टरों ने भी दुकानें सजा रखी हैं। सभी विभागों के डॉक्टरों ने बड़े अस्पताल पकड़ रखे हैं। मरीजों को ओपीडी में देखते हैं और फिर इलाज के लिए खुद के अस्पताल में भेजते हैं। कई ओपीडी में इसीलिए सेवाएं दे रहे हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को इलाज तक नहीं देते। परेशान करते हैं। उन्हें निजी अस्पताल जाने के लिए बाध्य किया जाता है। इस काम के लिए अस्पताल के कर्मचारियों को भी लगाया गया है। जिन्हें इस काम के लिए बकायदा कमीशन भी दिया जाता है। अब ऐसे में गरीबों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

परिजन के नाम खोला है नर्सिंग होम

सरकारी चिकित्सक विभाग नर्सिंग होम परिजन

डॉ शब्द सिंह शिशु रोग वर्धमान नर्सिंग होम भाई

डॉ राकेश पटेल मेडिसिन विहान नर्सिंग होम --

डॉ रचना गुप्ता सर्जरी श्री नर्सिंग होम पति

डॉ प्रियंक शर्मा सर्जरी सिटी हास्पिटल पत्नी

डॉ विष्णु पटेल सर्जरी आदर्श हॉस्पिटल पत्नी

डॉ बृजेश ङ्क्षसह सर्जरी लाइफ केयर साला

डॉ पुष्पेन्द्र शुक्ला सर्जरी रीवा हास्पिटल

डॉ अमित चौरसिया हड्डी चौरसिया नर्सिग होम पिता

डॉ बीनू सिंह स्त्री रोग प्राइवेट हास्पिटल पति

डॉ अर्चना पांडेय स्त्री रोग मिथिलेश नर्सिंग होम पति

डॉ शशि जैन नेत्र अनुपम नर्सिंग होम पति

डॉ करण जोशी शिशु रोग चिल्ड्रन केयर सेंटर पत्नी

डॉ शैलजा सोनी स्वी रोग विंध्रहर्ता हास्पिटल पति

डॉ नरेश बजाज शिशु रोग रेनबो हास्पिटल साला

डॉ कल्पना यादव स्त्री रोग वर्धमान नर्सिंग होम --

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क्या है नियम

मेडिकल कॉलेज के लिए -

- नॉन प्रैक्टिस एलॉउंस नहीं लेंगे।

- निजी प्रैक्टिस पर 2000 प्रतिमाह देंगे।

- प्रति शल्य क्रिया पर 500 रुपए जमा करना होगा।

- प्रति होम विजिट पर 50 रुपए देने होंगे।

- निजी प्रैक्टिस पर डीन की अनुमति अनिवार्य

चंद डॉक्टर जो नहीं करते पै्रक्टिस

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने सरकार ने एनपीए का भी प्रावधान रखा है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। आप्शनल है। इसका फायदा सिर्फ एक डॉक्टर ही ले रहे हैं। वेतन का 25 फीसदी अतिरिक्त नान प्रैक्टिस के लिए मिल रहा है। इसके अलावा गायनी में पदस्थ डॉ संघमित्रा सिंह हैं। यह कहीं भी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करती। अस्पताल में ही मरीजों की सेवा करती हैं।

स्त्री रोग और शिशु रोग विभाग की हालत खराब

एसजीएमएच में सबसे बड़ी परेशानी स्त्री रोग विभाग की है। यहां पदस्थ सिर्फ एक डॉक्टर को छोड़कर सभी प्राइवेट अस्पताल में भी सेवाएं देती है। कईयों के खुद के अस्पताल है। एचओडी खुद दूसरे अस्पताल में सेवाएं देती हैं। स्त्री रोग विभाग में डॉ अनुराधा मिश्रा, डॉ बीनू सिंह, डॉ क्षमता विश्वकर्मा, डॉ गुंजन गोस्वामी, डॉ पूजा गंगवार, डॉ सरिता सिंह, डॉ प्रियंका परौहा, डॉ कल्पना यादव सहित अन्य पदस्थ हैं। सभी कहीं न कहीं निजी अस्पताल से जुड़ी हुई हैं। मरीजों का आपरेशन अस्पताल में नहीं करती लेकिन प्राइवेट में बेधड़क कर रही हैं।

डॉक्टर कॉलोनी में लगता है मेला

निजी प्रैक्टिस का नाजारा देखना है तो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कॉलोनी में देखा जा सकता है। यहां सुबह और शाम को मेला लगता है। मरीज बंगलों में लंबी लाइन लगाए खड़े रहते हैं। यहां सिर्फ भीड़ बेहतर इलाज के लिए नहीं लगती। उन्हें अस्पताल में प्राथमिकता मिलेगी इसलिए बंगले में पहुंचकर दिखाते हैं। बंगलों से कई डॉक्टर मरीजों को एसजीएमएच में भेजते हैं। यहां उन्हें प्राथमिकता के साथ देखा जाता है। इलाज भी बेहतर मिलता है।

विधानसभा अध्यक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों की करतूत उजागर की है। स्त्री रोग विभाग में मरीजों के साथ हो रही लूटपाट की व्यथा पत्र के माध्यम से बयां की है। मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है। विधानसभा अध्यक्ष के पत्र से हड़कंप मचा हुआ है। हद तो यह है कि जिस मरीज की सिफारिश विस अध्यक्ष ने की थी। उसे तक यहां के डॉक्टरों ने लूटने से नहीं छोड़ा।

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