सैकड़ों बीघा खेतों में अब भी पानी भरने से बुवाई नहीं, किसान परेशान
राजसमंद। राजसमंद प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में इस वर्ष मानसून की बारिश आशा से कम हुई, लेकिन जिले में सामान्य बारिश होने के साथ ऊपरी हिस्से में अच्छी बारिश होने से क्षेत्र की गंगा कही जाने वाली बनास नदी में इस बार वर्षों बाद पांच माह तक पानी का बहाव भी बना रहा। इतने लंबे …
राजसमंद। राजसमंद प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में इस वर्ष मानसून की बारिश आशा से कम हुई, लेकिन जिले में सामान्य बारिश होने के साथ ऊपरी हिस्से में अच्छी बारिश होने से क्षेत्र की गंगा कही जाने वाली बनास नदी में इस बार वर्षों बाद पांच माह तक पानी का बहाव भी बना रहा। इतने लंबे समय से पानी का बहाव होने के बावजूद क्षेत्र के भूजल स्तर में आशानुरूप बढ़ोतरी नहीं हुई है। इससे फसल पैदावार की उम्मीदों पर एक बार फिर से पानी फिरता नजर आ रहा है। बनास नदी में निरंतर पानी का बहाव होने से जिले की सीमा पर स्थित मातृकुण्डिया बांध बहुत पहले ओवरफ्लो हो गया और बांध की क्षमता के बराबर का पानी गेट खोलकर आगे छोड़ा गया। इससे चंबल तक बनास का पानी भी लंबे समय तक बहता रहा। बनास में इस बार लंबे समय तक पानी का बहाव रहने के बावजूद क्षेत्र के सेजे में बढ़ोतरी नही होना आने वाले समय में भूजल को लेकर चिन्तन करने को विवश कर रहा है।
फसल पैदावार में सबसे अग्रणी माने जाने वाले रेलमगरा क्षेत्र में भूजल स्तर में साल दर साल गिरावट होती जा रही है, जिसके चलते क्षेत्र में फसल पैदावार पर ग्रहण सा लग गया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण नदियों से अंधाधुंध बजरी के खनन को माना जा रहा है। पूर्व में इस विषय पर सरकार के साथ क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों ने चिन्तन भी किया और नदियों से बजरी खनन पर पूर्णतया रोक लगा दी गई। साथ ही सरकार की ओर से जारी की गई तमाम लीज को भी निरस्त कर दिया गया। इसके बावजूद नदियों से बजरी का खनन नहीं रुका और बजरी माफिया अपनी जेबें भरते हुए सरकारी खजाने को चुना लगाते रहे और सरकारी मशीनरी की आड़ में नदियों को बजरी विहिन करते रहे। क्षेत्र की सबसे लंबी बनास नदी पर तो बजरी माफिया की गिद्ध नजर इस तरह पड़ी कि उन्होनें इसे नोच-नोच कर इसके स्वरूप को काफी बिगाड़ दिया है। इसके चलते आलम यह है कि बनास नदी में चट्टानें एवं कंटीली झाड़ियां ही बची है।
इसमें से कई स्थानों पर तो माफिया द्वारा पत्थरों का खनन कर इनकी पिसाई कर बजरी बनाकर मनमाने दाम पर बाजार में बिक्री करने का गौरखधंधा कर रहे हैं। नदी में बजरी नहीं बचने से पानी धरती के भीतर उतरने की बजाए आगे बह रहा है, जिससे भूजल स्तर में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। राजसमन्द व चित्तौड़गढ़ जिलों की सीमा पर स्थित मातृकुण्डिया बांध के भराव क्षेत्र में सैंकड़ों बीघा खेत जलमग्न हैं। हर वर्ष दीपावली के अवसर पर मातृकुण्डिया बांध के भराव क्षेत्र में आने वाले खेतों से पानी को खाली कर दिया जाता है, जहां बाद में किसान रबी फसलों की बुवाई करते हैं। लेकिन, इस वर्ष बनास नदी में पानी का बहाव अब तक भी बना हुआ है, जिससे बांध में पानी की निरंतर आवक बनी हुई है। इसके चलते खेतों से पानी अब तक भी खाली नहीं हो सका और सैंकड़ों बीघा खेत बिना बुवाई के ही रह गए। खेतों में बुवाई नही करने से किसानों को बड़ा नुकसान तो हुआ ही है, वहीं इससे पूर्व खरीफ की फसलें भी बांध भरने से जलमग्न हो गई थी, जिससे किसान पूरे सालभर की फसलों से वंचित रह गए।