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एलएसी पर कहीं सुधरे हालात, तो कहीं चीन ने नहीं मानी संधि की बात

jantaserishta.com
28 May 2023 5:39 AM GMT
एलएसी पर कहीं सुधरे हालात, तो कहीं चीन ने नहीं मानी संधि की बात
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सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली (आईएएनएस)| लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर चीनी सेना ने कई बार उकसावे की कार्रवाई की है। चीन मुख्य तौर पर लद्दाख, पैंगोंग, तिब्बत, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से लगे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के आसपास दिक्कतें पैदा करता रहा है। हाल के वर्षों में भारत चीन सीमा पर चाइनीस आर्मी ने पहले गलवान, पैंगोंग और फिर उसके बाद 2022 में अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से इलाके में उकसावे की कार्रवाई की है।
वहीं डेपसांग के मैदानी क्षेत्र की बात करें तो यहां समस्या 2020 में गलवान में समस्या उत्पन्न होने से भी बहुत पहले से है। डेपसांग मैदान, भारत के जम्मू व कश्मीर के पूर्वी भाग में लद्दाख क्षेत्र की सीमा पर स्थित एक ऊंचा मैदानी इलाका है।
यहां विवाद की शुरूआत तब हुई जब चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा बैरिकेड लगाकर भारतीय सेना के जवानों को उनके पेट्रोलिंग पॉइंट तक पहुंचने से रोक दिया गया। भारतीय सेना के जवानों को उस बिंदु तक पहुंचने से रोका गया जहां तक उन्हें अपनी ड्यूटी के तहत पहुंचना था। इसके बाद जवाब में भारतीय सेना ने भी मजबूती से अपनी कार्रवाई की।
गौरतलब है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर समझौतों का उल्लंघन करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करने के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव पैदा हुआ।
स्थिति को सामान्य करने के लिए दोनों देशों द्वारा कोर कमांडर स्तर की वार्ता 2020 में शुरू की गई। मई 2020 में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों सेनाएं पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से विस्थापित हो गई हैं, हालांकि डेपसांग मैदानी क्षेत्र और डेमचोक में तनाव बना हुआ है।
डेपसांग और डेमचोक के संबंध में दोनों पक्ष कोई प्रगति करने में विफल रहे हैं। भारत ने डी-एस्केलेशन की मांग की है, जिसमें सभी अतिरिक्त सैनिकों और उपकरणों को एलएसी के अग्रिम क्षेत्रों में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस ले जाना शामिल है।
हालांकि, चीन की ओर से अभी तक इसके लिए कोई झुकाव नहीं दिखा है। वह मौजूदा होल्डिंग पोजीशन को नई यथास्थिति के रूप में मानना चाहते हैं। इस बीच बॉर्डर से लगे कई इलाकों पर चीन द्वारा हवाई पट्टियां बनाई जा चुकी हैं।
लद्दाख स्थित एलएसी पर ऐसा ही तनाव है। यहां चीन के कारण पैंगोंग झील पर पहले ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव हैं। अब पैंगोंग झील के इलाके में चीन तेजी से पुल निर्माण कर रहा है। सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन लगभग आठ मीटर चौड़े पुल का निर्माण कर रहा है और भीषण ठंड के बावजूद सर्दियों में पुल का काम जारी रहा।
यह पुल पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर स्थित चीनी सेना के बेस से दक्षिण की तरफ है। साल 2020 में भारत के साथ टकराव के दौरान चीन ने इस जगह पर अपने अस्थाई अस्पताल और गोडाउन बना लिए थे।
गौरतलब है कि जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। उस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी और उसके 42 जवान शहीद हो गए थे। दोनों देशों की सेनाओं के बीच यह हिंसक झड़प 15 जून 2020 की रात को हुई। इस पूरी घटना के लिए चीन की अतिक्रमणवादी हरकतें जिम्मेदार थीं।
बीते साल 2022 में चीनी सेना ने अपनी तादाद बढ़ाने के बाद 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से इलाके में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 17,000 फीट की चोटी तक पहुंचने की कोशिश की। चीन की सेना साजिश के तहत नौ दिसंबर को 300 सैनिकों के साथ अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से इलाके में स्थित भारतीय चौकी को हटाने के लिए एलएसी के पास पहुंची थी।
हालांकि भारत पहले से सतर्क था और यहां चीनी सेना के अनुपात में भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई थी। पूरी तरह से तैयार भारतीय सेना के जवानों ने अरुणाचल प्रदेश में चीनियों को उनके प्रयास में हरा दिया। सूत्र ने कहा कि इस झड़प में कुल 34 भारतीय और 40 से अधिक चीनी सैनिक घायल हुए।
भारतीय सेना चीन को लेकर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भी विशेष रूप से सतर्क हैं। चीन भूमि को कब्जाने की नियत से बिना बाड़ वाले स्थानों पर हावी होने की कोशिश करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह बातें दिल्ली में हुई डीजीपी और आईजीपी की बैठक में प्रस्तुत किए गए नोट में भी कही गई थीं।
ऐसे में अधिकारियों ने भारत सरकार को सुझाव दिया है कि रणनीतिक क्षेत्र जैसे- तुरतुक या सियाचिन सेक्टर और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) या डेपसांग के मैदानी क्षेत्रों में सीमा पर्यटन को तेजी से बढ़ावा दिया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि काराकोरम र्दे को भी घरेलू पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग व लंबी पैदल यात्रा के लिए खोला जा सकता है।
वहीं रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट भी आईएएनएस को बता चुके हैं कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में टूरिज्म को बढ़ावा देने की ओर आगे बढ़ रही है।
वहीं भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण(ट्राई) ने लद्दाख के दूरवर्ती क्षेत्रों में दूरसंचार कवरेज तथा बेकहोल अवसंरचना में सुधार पर सिफारिशें जारी की हैं। एलएसी के निकट रह रहे लोगों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा तथा डिजिटल बैंकिंग तक पहुंच के लिए महत्वपूर्ण हाई स्पीड इंटरनेट की पहुंच में आ रही चुनौतियों को उजागर किया गया है।
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