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भारत में अब तक 8 महिला जस्टिस की नियुक्ति, पाकिस्तान की CJP होगी एक महिला
Nilmani Pal
13 Aug 2021 11:12 PM GMT
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पाकिस्तान में ऐसा पहली बार होगा जब चीफ जस्टिस कोई महिला बनेगी
जनता से रिस्ता वेबडेसक :- पाकिस्तान को मिल सकती है पहली महिला CJP, भारत के SC में अब तक हो चुकी है 8 महिला जस्टिस की नियुक्तिभारत के सुप्रीम कोर्ट में अब तक आठ महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई महिला जज देश की चीफ जस्टिस नहीं बनी है.
पाकिस्तान को मिल सकती है पहली महिला CJP, भारत के SC में अब तक हो चुकी है 8 महिला जस्टिस की नियुक्ति
पाकिस्तान में ऐसा पहली बार होगा जब चीफ जस्टिस कोई महिला बनेगी. पाकिस्तान के निवर्तमान चीफ जस्टिस मुशीर आलम ने जस्टिस आयशा मलिक को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की है. मुशीर आलम इसी महीने 17 तारीख को रिटायर हो रहे हैं. चीफ जस्टिस की सिफारिश पर पाकिस्तान की न्यायिक समिति ने आयशा मलिक के पदोन्नत पर मुहर भी लगा दी है. अब आयशा मलिक पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली जस्टिस बनेंगी. आयशा ना केवल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनेंगी बल्कि निकट भविष्य में वह पहली महिला मुख्य न्यायधीश भी बन सकती हैं.
वैसे 15 अगस्त को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे भारत के सुप्रीम कोर्ट में अब तक आठ महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई महिला जज देश की चीफ जस्टिस नहीं बनी है. पाकिस्तान के न्यायिक आयोग, देश के न्यायिक नियुक्तियों के निकाय ने शुक्रवार को लाहौर हाईकोर्ट की जज आयशा मलिक के नाम की मंजूरी भी दे दी है.परंपरागत रूप से, दोनों देशों के उच्च न्यायपालिका फिर वे चाहे सुप्रीम कोर्ट हो या हाईकोर्ट, वहां एक जैसे ही 'मेनल' हैं. वैसे जस्टिस मलिक के नाम की सिफारिश में जो सबसे अच्छी बात है, वह यह है कि मलिक पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की पहली चीफ जस्टिस भी बन सकती हैं. क्योंकि उनका कार्यकाल 2031 तक सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर रहेगा.
मार्च 2012 में आयशा मलिक को बतौर जस्टिस लाहौर हाई कोर्ट में पदोन्नत किया गया था. लाहौर हाईकोर्ट में जस्टिस बनने के बाद उन्होंने संवैधानिक, कर, पर्यावरण और नियामक जैसे कई मामलों को डील किया है. हाल ही में जस्टिस मलिक ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने एक बलात्कार के मामले में टू-फिंगर टेस्ट को अवैध और पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ घोषित किया था.
भारत को भी मिल सकती है पहली महिला CJI
कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस बी.वी नागरत्ना का नाम पिछले कुछ महीनों से कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन पांच सदस्यीय कॉलेजियम द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नई नियुक्तियों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. अगर जस्टिस नागरत्ना की नियुक्ति समय पर हो जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट को भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस मिल सकती है.
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि पिछले 74 वर्षों में, पाकिस्तान की तरह भारत में कोई महिला चीफ जस्टिस नहीं रही है. खासकर इसलिए क्योंकि कानूनी पेशा पुरुषों का ही रहा है और पुरुष ही इस पेशे में हावी हैं.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तिपाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस समेत 17 जस्टिस हैं. 5 साल के अनुभव वाला हाईकोर्ट जज या 15 साल की प्रैक्टिस वाला वकील पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्त होने के योग्य है. पाकिस्तान के न्यायिक आयोग नामक एक बहु-सदस्यीय निकाय न्यायाधीशों की नियुक्ति करती है. इसके पैनल में सुप्रीम कोर्ट के टॉप 5 जस्टिस, आयोग में कानून मंत्री, अटॉर्नी जनरल और सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड चीफ जस्टिस एवं बार के सदस्य भी हैं.
आयोग द्वारा नाम की सिफारिश करने के बाद, इसे संसदीय समिति को भेज भेजा जाता है. जो या तो इसकी समीक्षा करती है या सिफारिश को अस्वीकार कर देती है.
न्यायपालिका में लैंगिक समानता
महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में लैंगिक असमानता भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में चिंता का विषय बनी हुई है. यहां लैंगिक समानता केवल जुबान तक ही सीमित है, जमीनी हकीकत इससे बहुत अलग है. जबकि न्यायपालिका में महिलाओं की कम भागीदारी पर विशेषज्ञ मुख्य रूप से कहते हैं कि इस पेशे में अभी भ्ज्ञी पुरुषों का वर्चस्व है. भले ही इस पेशे में महिलाओं की संख्या अधिक है, लेकिन उन्हें वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों और प्रतिनिधित्व से दूर रखा जाता है.
लेकिन जस्टिस मलिक को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश दक्षिण एशिया क्षेत्र की महिलाओं के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम है.
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