भारत

छह घंटे ऑपरेशन...काटी गई गले की नस...पीठ के स्किन से भरना पड़ा सीने का घाव...और ऐसे निकला फुटबॉल के आकार का ट्यूमर

jantaserishta.com
15 July 2021 10:47 AM GMT
छह घंटे ऑपरेशन...काटी गई गले की नस...पीठ के स्किन से भरना पड़ा सीने का घाव...और ऐसे निकला फुटबॉल के आकार का ट्यूमर
x
ट्यूमर पसलियों तक पहुंच गया था.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने युवक के सीने पर बने छोटे फुटबॉल के आकार का ट्यूमर निकाला है। इसका वजन करीब चार किलोग्राम है। यह ट्यूमर मरीज के छाती पर था। इस दौरान पीठ की स्किन और मांसपेशियों से सीने का रिकंस्ट्रक्शन भी किया गया है। यह ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज में करीब 6 घंटे चला।

इस ऑपरेशन को मेडिकल कॉलेज के जनरल सर्जरी विभाग के प्रो. अशोक यादव और प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीरज नाथानी की संयुक्त टीम ने किया। युवक मऊ का रहने वाला है। उसकी उम्र 40 साल है। उसके सीने पर ट्यूमर पिछले चार साल से था। इस दौरान युवक के सीने पर दो बार निजी अस्पतालों में ऑपरेशन भी हुआ था। दोनों ऑपरेशन असफल रहे। उसमें ट्यूमर पूरी तरह नहीं निकला। ऑपरेशन की वजह से ट्यूमर का आकार और बड़ा हो गया। ट्यूमर गले की नस और सीने की पसलियों फैल गया। परिजन एक हफ्ते पहले युवक को गंभीर हालत में लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। प्रारंभिक जांच में ट्यूमर में कैंसर की तस्दीक हुई।
छह घंटे चला ऑपरेशन
डॉ. अशोक यादव और डॉ. नीरज नाथानी ने बताया कि इस ऑपरेशन में चुनौतियां थी। ट्यूमर पसलियों तक पहुंच गया था। इससे पसलियों की हड्डियों के गलने का खतरा था। इसके अलावा ट्यूमर ने गले की नस और उसके आसपास की मांसपेशियों को प्रभावित किया था। ट्यूमर निकालने के बाद सीने में एक गड्ढा जैसा स्थान बन जाता। उसे भरना भी चुनौतीपूर्ण था। कैंसर की तस्दीक पहले ही हो गई थी ऐसे में ऑपरेशन के बाद सिंकाई भी होनी है। ऑपरेशन करीब छह घंटे चला।
काटनी पड़ी गले की नस
डॉ. अशोक यादव ने बताया कि ट्यूमर बाएं तरफ गले की एक महत्वपूर्ण नस तक पहुंच गया था। यह नस दिमाग से खून दिल तक ले आती है। ऑपरेशन के दौरान उस नस को काटना पड़ा। इसी प्रकार की एक नस दाएं तरफ होती है। जिससे मरीज का जीवन चल रहा है।
पीठ के स्किन से भरा सीने का घाव
डॉ. नीरज नाथानी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद सीने में बने गहरे घाव को भरने के लिए पीठ से स्किन और मांसपेशियों को काटकर सीने में उसे फिर से रिकंस्ट्रक्ट किया गया। इसका फायदा यह है कि सिंकाई के दौरान यह सेल प्रभावित नहीं होंगे। यह मांसपेशियां जल्दी जुड़ जाती हैं। ऐसे में मरीज को भविष्य में दिक्कत नहीं होगी। इसे फ्लैट सर्जरी तकनीक कहते हैं। ऑपरेशन के बाद से मरीज की हालत में सुधार है।


Next Story