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दो मकानों से छह शव बरामद, ड्रग के ओवरडोज से हुई है मौतें पुलिस ने किया खुलासा

Admin2
28 Aug 2022 7:21 AM GMT
दो मकानों से छह शव बरामद, ड्रग के ओवरडोज से हुई है मौतें पुलिस ने किया खुलासा
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सिद्दड़ा के तवी विहार कॉलोनी में दस दिन पहले 17 अगस्त को दो मकानों से छह शव बरामद होने के मामले का खुलासा करने का पुलिस ने दावा करते हुए कहा कि सभी की मौत ड्रग के ओवरडोज के चलते हुई है। डिपरेशन के शिकार सभी छह ने मिलकर आत्महत्या करने का फैसला किया था। इस मामले में पुलिस ने एक स्वास्थ्य कर्मी तथा एक प्लंबर को गिरफ्तार किया है। इन्हें गिरफ्तार इस वजह से किया है कि दोनों को घटना की जानकारी थी और उन्होंने पुलिस को समय पर सूचित नहीं किया था। इसके चलते छह जानें नहीं बचाई जा सकीं।

दिए गए पैसे भी दोनों से बरामद किए गए
इस मामले में बाद में दिए गए पैसे भी दोनों से बरामद किए गए। पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 और 306 में मामला दर्ज किया गया है। एसएसपी चंदन कोहली ने बताया कि श्रीनगर के नूर उल हबीब ने डोडा के एक ही परिवार के अन्य पांच लोगों को आत्महत्या के लिए राजी कर लिया। परिवार में एक वृद्ध महिला, विकलांग पुत्र व पुत्री, दूसरा पुत्र तथा पोता शामिल थे। बताया कि परिवार लंबित कोर्ट केस, भूमि विवाद, बैंक कर्जे तथा स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहा था।
सकीना कई कोर्ट केस झेल रही थी
बताया कि चार सदस्यीय एसआईटी की जांच में यह सामने आया कि हबीब 1997 में जम्मू आया। वह अपने पड़ोसी डोडा निवासी सकीना जो उसके घर पर घरेलू कामकाज करती थी, को आर्थिक सहायता करता था। सकीना कई कोर्ट केस झेल रही थी। साथ ही अपने दो दिव्यांग बच्चों की स्थिति से परेशान थी। अगस्त के पहले सप्ताह में एक कोर्ट केस में पेश होने के बाद हबीन ने सकीना, उसकी पुत्री रूबीना तथा पोता सज्जाद अली को जान देने के लिए राजी कर लिया।
हबीब के घर से चार शव बरामद किए गए
उन्होंने बताया कि हबीब के घर से चार शव बरामद किए गए, जबकि सकीना के दिव्यांग बच्चों जफ्फर सलीम तथा नसीमा के शव दूसरे मकान से बरामद किए गए। हबीब की बहन शहजादा के श्रीनगर से फोन करने के बाद पुलिस ने सिद्दड़ा पहुंचकर दरवाजा तोड़कर शव बरामद किए थे। कोहली ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकार्डिंग तथा बैंक खातों की जांच के दौरान यह पता चला कि सकीना के दिव्यांग बच्चों की सबसे पहले 12 अगस्त को ड्रग के ओवरडोज से मौत हुई।
सीसीटीवी कैमरे को बंद किया गया
सकीना ने 14 तथा अन्य ने 15 अगस्त को ड्रग लिया। बताया कि उन्होंने पांच अगस्त से ही योजना पर काम शुरू कर दिया था। इसके तहत कैनुला, ड्रिप तथा दवाइयां लाकर रखी गई थी। अगले दिन सीसीटीवी कैमरे को बंद किया गया। हबीब का परिचित स्वास्थ्य कर्मी संजीव कुमार को सभी के हाथों पर कैनुला लगाने के लिए तैयार किया गया।
शवों को दफनाने के लिए गड्ढ़े की खोदाई कराई
इतना ही नहीं सकीना के घर में शवों को दफनाने के लिए गड्ढ़े की खोदाई कराई गई। इसके लिए प्लंबर विजय कुमार को ढाई लाख रुपये दिए गए। बताया कि हबीब, रूबीना तथा सज्जाद अली शहर जाकर दवा खरीद लाए। इसके बाद उन्होंने 14 अगस्त को खाने का ऑर्डर किया और शाम को स्वास्थ्य कर्मी को बुलाया।
पोस्टमार्टम तथा बिसरा रिपोर्ट आनी बाकी
एसएसपी के अनुसार डॉक्टरों की टीम ने वीडियो कैमरे की निगरानी में पोस्टमार्टम किया। बिसरा को जांच के लिए एफएसएल भेजा गया है। दोनों की जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
इस दिन ये रहा घटनाक्रम
चार अगस्त: सकीना बेगम, सजाद अहमद के जीवन को खत्म करने की योजना पहले बनी। इसके लिए पहले घरों के सीसीटीवी कैमरों को बंद किया गया और योजना पर काम आरंभ हो गया था।
पांच अगस्त: नूर उल हबीब मेडिकल स्टोर से दवाइयां, फल, डायपर और अन्य सामान लाया।
छह अगस्त: दो बच्चों के बीमार होने की बात कह कर हेल्थ वर्कर संजीव कुमार को बुलाया गया। विटामिन सहित अन्य दवाइयां देने के लिए उनके हाथों में ड्रिप लगाने को कहा। इसमें जफर सलीम, नसीमा अख्तर को दवाई दी गई। इसके बाद संजीव कुमार को बुलाया गया। उसे बताया गया कि उनकी तबीयत चेक करे। मगर, संजीव को पता नहीं था कि कौन सी दवाइयां दी जा रही है।
सात अगस्त : नूर उल हबीब ने प्लंबर विजय कुमार को बुलाया और वारदात की जानकारी दी। लेन नंबर 33 में सकीना बेगम के घर के पीछे गड्ढा खोदने के लिए कहा।
नौ अगस्त: प्लंबर विजय कुमार दो लोगों को लेकर आया। गड्ढा खोदने के ढ़ाई लाख रुपये लिए।
12 अगस्त: योजना के अनुसार सलीम जफर, नसीमा अख्तर और सकीना बेगम को जहर दिया गया। इसके बाद उनकी मौत हुई।
14 अगस्त : सकीना बेगम की मौत। अन्य नूर हबीब, सजाद अहमद और रुबिना बानो ने जहर खाया। इसी दिन सुबह मेडिकल स्टोर से दवाइयां और गांधी नगर से खाने का सामान मंगवाया गया। सामान घर के बाहर ही लिया गया, उसे बताया गया कि कोविड मरीज घर के अंदर है।
15 अगस्त : तफ्तीश के अनुसार इस दिन सभी की मौत हो चुकी थी। 16 को बहन शहजादा बेगम का पुलिस को फोन आया था।
पर कहानी स्थापित करने को एक भी सबूत नहीं दिए
यह अनसुलझे प्रश्न:
पुलिस ने जांच के हवाले से मामले को सुलझाने का दावा तो किया लेकिन पूरे प्रकरण में एक भी ऐसा सबूत नहीं दिया जिससे उसकी बताई कहानी पूरी तरह स्थापित हो सके। इस मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं होने से तकनीकी सबूत ही जांच का सहारा बना, लेकिन सीसीटीवी कैमरे तो पुलिस के अनुसार छह अगस्त से ही बंद कर दिए गए थे।
आखिर हबीब को क्या परेशानी थी, उसे किस बात का डिपरेशन था जिसके चलते उसने अपने साथ छह लोगों को आत्महत्या के लिए तैयार किया। कोर्ट केस तथा जमीन संबंधी विवाद क्या थे, जिसकी वजह से इतना बड़ा कदम उठाया गया। क्या हबीब का इतना प्रभाव था कि वह सकीना के परिवार के सभी लोगों को खुदकुशी के लिए राजी करने में सफल हो गया।
इतनी सारी तैयारी चलती रही और किसी ने भी इस बाबत किसी को कुछ नहीं बताया। श्रीनगर में हबीब के परिवारवालों ने हत्या की आशंका जताते हुए कहा था कि उसका बेटा आत्महत्या नहीं कर सकता। पुलिस ने यह भी नहीं बताया कि उनके बैंक खातों में कितने पैसे हैं।
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