भारत का मान बढ़ाकर सिराज ने बेशर्म 'विषाक्त ट्रोलर्स' के मुंह पर जड़ा तमाचा
निर्मल रानी
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के आर प्रेमदासा स्टेडियम में हुये एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट में पिछले दिनों भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया। भारत ने श्रीलंका की पूरी टीम को केवल 50 रनों में समेट कर रख दिया और एशिया कप फ़ाइनल मैच 10 विकेट से जीत लिया। हालांकि भारत आठवीं बार एशिया का चैंपियन बना है परन्तु निश्चित रूप से 2023 के एशिया कप का भारत व श्रीलंका के मध्य खेला गया फ़ाइनल मैच इतिहास में दर्ज हो गया। भारतीय टीम की इस अभूतपूर्व विजय का सेहरा भारतीय क्रिकेट टीम के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज के सिर रहा। मोहम्मद सिराज ने सात ओवर में मात्र 21 रन देकर श्री लंका के छह विकेट ले लिए। उन्होंने चार विकेट तो केवल एक ओवर में ही झटक लिये थे। इस फ़ाइनल मैच की एक विशेषता यह भी थी कि इसमें टॉस भी श्री लंका ने जीता,उसके बाद बल्लेबाज़ी का निर्णय भी लंका ने लिया। इतना ही नहीं बल्कि खेल का मैदान भी श्री लंका का ही था। उसके बावजूद इतनी शर्मनाक हार ? कहा जा रहा है कि अपने ही होम ग्राउंड में ऐसी ऐतिहासिक शिकस्त आज तक किसी भी टीम की नहीं हुई है। मोहम्मद सिराज ने अपनी तूफ़ानी गेंदबाज़ी से न केवल अपनी गुणवत्ता प्रमाणित की है बल्कि वे अब विश्व क्रिकेट के सबसे ख़तरनाक गेंदबाज़ों में भी शामिल हो गए हैं। वर्ल्ड कप से पहले भारत को इतनी बड़ी विजय मिलने से मोहम्मद सिराज और भारतीय टीम को भी विश्व कप के लिये भी एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। पूरे विश्व का क्रिकेट जगत इस समय इस महान भारतीय तेज़ गेंदबाज़ पर नज़रें गड़ाये बैठा है। देश विदेश में इस समय क्रिकेट प्रेमी भारतीय टीम को मोहम्मद सिराज के रूप में मिले इस नायाब खिलाड़ी का गुणगान कर रहे हैं। बेशक भारत के प्रत्येक राष्ट्रवादी नागरिक को अपने इस महान खिलाड़ी पर गर्व है।
मोहम्मद सिराज का जन्म हैदराबाद के अत्यंत ग़रीब परिवार में हुआ। उनके पिता ऑटो टैक्सी ड्राइवर थे जबकि माँ दूसरे के घरों का काम कर अपने परिवार के पालन पोषण में सहभागी रहा करती थी। ग़रीबी का यह आलम था कि क्रिकेट खेल की प्रतिभा होने के बावजूद उन्हें कभी क्रिकेट एकेडमी जाना तक नसीब नहीं हुआ। यहां तक कि सिराज के पास खेल अभ्यास हेतु स्टेडियम जाने तक का किराया नहीं होता था। जब इसी महान संस्कारवान खिलाड़ी को पिछले दिनों लंका में उसके अभूतपूर्व प्रदर्शन के लिये मैन ऑफ़ द मैच घोषित किया गया तो उसने इनाम में मिली राशि जो 5,000 यूएस डॉलर यानि लगभग सवा चार लाख रूपये बताई जा रही है, उसी समय श्रीलंका के ग्राउंड स्टाफ़ को भेंट कर दी । ऐसा करके भी सिराज ने देश का नाम रोशन किया। और विदेश की धरती पर भारत का डंका बजा दिया। परन्तु हमारे देश में संकीर्णतावदी,साम्प्रदायिकतावादी और बिकाऊ ट्रोलर्स जिन्हें मुसलमानों के नाम से ही नफ़रत करने की घुट्टी पिलाई जा चुकी है उन्होंने भारतीय टीम में शामिल होते ही मोहम्मद सिराज की प्रत्येक गतिविधियों पर नज़र रखनी शुरू कर दी थी । और सिराज की जो अदा इन समाज विभाजक अराजक तत्वों को नहीं भाती थी उसपर वह उसे ट्रोल भी करने लगते थे। वे यह भी नहीं सोचते थे कि एक खिलाड़ी पर मानसिक तौर से इन बातों का कितना दुष्प्रभाव पड़ सकता है जिसका असर उसके खेल पर भी पड़ सकता है ?
इसी वर्ष फ़रवरी में जब भारत व ऑस्ट्रेलिया के मध्य पहला टेस्ट मैच नागपुर के जामठा क्रिकेट स्टेडियम खेला जाना था उसी मुक़ाबले के लिये जब भारतीय क्रिकेट टीम नागपुर पहुंची तो होटल में प्रवेश करते समय टीम इंडिया के खिलाड़ी और टीम स्टाफ़ के स्वागत के लिये होटल कर्मचारियों ने खिलाड़ियों को तिलक लगाने की रस्म निभाई। यहाँ टीम के कई सदस्यों ने माथे पर तिलक लगवाने से मना कर दिया। इनमें मोहम्मद सिराज,उमरान मलिक, स्टाफ़ के सदस्य हरि प्रसाद मोहन तथा विक्रम राठौर जैसे लोगों ने किन्हीं कारणों से तिलक नहीं लगवाया। परन्तु पेशेवर ट्रोलर्स ने उस समय तिलक न लगवाने के लिये केवल उमरान मलिक और सिराज को ही निशाना बनाया और इनपर आरोप लगाया कि 'ये अपने धर्म के प्रति कट्टर हैं और वह स्वागत तिलक भी नहीं लगवा सकते हैं'। परन्तु इनके मुंह से हरि प्रसाद मोहन तथा विक्रम राठौर के तिलक न लगवाने के बारे में एक शब्द भी न निकला ? हालांकि उसी समय इन विभाजनकारी ट्रोलर्स को आइना दिखने वाला वह वीडिओ भी लोगों ने शेयर कर डाला जिसमें उमरान मलिक और मोहम्मद सिराज के अलावा विक्रम राठौर और हरि प्रसाद मोहन भी तिलक लगाने से मना कर रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि विभाजनकारी ट्रोलर्स के जवाब में कई वास्तविक राष्ट्रवादियों ने उसी समय सिराज और उमरान की घातक बॉलिंग के वीडियो भी शेयर किए जिसमें ये दोनों खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए विकेट लेते नज़र आ रहे थे। ग़ौर तलब है कि हैदराबाद के सिराज जहां वनडे में दुनिया के नंबर वन गेंदबाज़ हैं तो कश्मीर के उमरान मलिक भी भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते हुए सितारे हैं।
इसी तरह कुछ समय पूर्व सिराज ने अपनी एक फ़ोटो शेयर की थी जिसमें वे हज का लिबास पहने मक्का (सऊदी अरब ) में उमरा करने के लिये गये हुये दिखाई दे रहे हैं। इस फ़ोटो को देखकर भी कट्टर ट्रोलर्स को ख़ूब मिर्च लगी थी। उन्होंने सिराज को कट्टरपंथी बताना शुरू कर दिया था। आश्चर्य है कि जब इसी भारतीय क्रिकेट टीम का कोई खिलाड़ी किसी विवादित व पाखंडी स्वयंभू बाबा के चरणों में जा बैठे या इसरो का वैज्ञानिक अपने मंदिर जाने की फ़ोटो शेयर करे तो यह लोग धार्मिक प्रवृति के कहे जाएँ परन्तु सिराज की उमरा करने की फ़ोटो इन्हें "कट्टरपंथी "नज़र आने लगे ? देश में कई बार कई घटनाओं में ऐसा देखा गया है जबकि राष्ट्र विभाजक इन्हीं साम्प्रदायिक तत्वों ने धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाया है। यहाँ तक कि धर्म के आधार पर बलात्कारी,दंगाइयों व हत्यारों तक का पक्षपात करते अनेक बार दिखाई दिए हैं। निश्चित रूप से घृणा फैलाने के इसी मौजूदा वातावरण में अपनी तूफ़ानी गेंदबाज़ी से भारत का मान व सम्मान बढ़ाकर मोहम्मद सिराज ने बेशर्म विषाक्त ट्रोलर्स के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा जड़ दिया है।