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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: देश में आज से सिंगल यूज प्लास्टिक के करीब 19 आइटम बैन हो गए हैं. प्लास्टिक बैन के फैसले को लेकर पर्यावरण प्रेमी जहां प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं, वहीं व्यापारी इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं. दिल्ली के कारोबारियों का कहना है कि सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के 19 आइटम्स पर बैन का फैसला बगैर किसी पूर्व तैयारी के लिया गया है. इससे रोजगार पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
कहा ये जा रहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का पर्यावरण फ्रेंडली कोई विकल्प नहीं है. यहां तक कि कागज भी नहीं, क्योंकि इससे पेड़ काटने पड़ेंगे. कारोबारियों का कहना है कि पैकिंग के काम में ज्यादातर प्लास्टिक का ही इस्तेमाल होता है और बिना किसी विकल्प के इसे बैन कर दिए जाने का कारोबार पर विपरीत असर पड़ने की आशंकाएं भी हैं.
सरोजिनी नगर मिनी मार्केट ट्रेडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि सूट, कमीज सहित ज्यादातर माल प्लास्टिक बैग में ही आता है. यही माल जब गत्तों के डब्बों में आएगा तो इसकी लागत भी बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि बैन तभी असरदार होगा जब प्लास्टिक मैनुफैक्चरिंग पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए. साइकल मार्केट के प्रेसिडेंट राजीव बत्रा का कहना है कि बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिनकी पैकिंग प्लास्टिक में ही सुविधाजनक रहती है. प्लास्टिक का अभी विकल्प नहीं है.
मेन मार्केट चांदनी चौक के प्रेसिडेंट संजय भार्गव ने कहा कि 120 माइक्रॉन के प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं, इसे लेकर दुविधा है. सरकार ये बताए कि कौन से मैनुफैक्चरर को लीगल बना रहे हैं. बैन लागू हो लेकिन सख्ती तब तक न हो, जब तक प्लास्टिक को लेकर भ्रम दूर नहीं हो जाता. चांदनी चौक के कारोबारी श्रीभगवान बंसल ने कहा कि प्लास्टिक के चम्मच-दोने और बैनर पर रोक लगाई गई है. आने वाली पीढ़ी के लिए ये फैसला एक मिसाल होगा.
खान मार्केट के प्रेसिडेंट संजीव मेहरा का कहना है कि बिना विकल्प के पूरी तरह से बैन लागू नहीं किया जा सकता. प्लास्टिक बैन से व्यापारी को सामान लेकर आने और जाने में बहुत परेशानी होगी. पैकिंग मैटेरियल में भी बहुत दिक्कतें आएंगी क्योंकि इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का ही यूज होता है. इसे धीरे-धीरे लागू करें जिससे कारोबारियों को दिक्कत न हो.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने व्यापारियों से अपील की है कि वे सामान की पैकिंग या डिलीवरी में प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग न करें. कैट की ओर से कहा गया है कि किसी भी ऐसे उत्पाद की डिलीवरी न लें जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हो और निर्माताओं से एकल उपयोग प्लास्टिक में किसी भी उत्पाद की डिलीवरी न करें. कैट के सचिव प्रवीण खंडेलवाल ने मांग की है कि पुनर्वास की योजना बनाई जाए जिससे सिंगल यूज प्लास्टिक की इकाइयों का रोजगार खत्म न हो.
ऑल इंडिया प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चीफ रवि कुमार अग्रवाल का कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक की करीब 50 फैक्ट्रियों में 10 हजार लोग काम करते हैं. अन स्किल्ड लेबर इन मशीनों पर कुछ और बना नहीं सकते लिहाजा इनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. मशीन बंद रहने पर बैंकों के लोन का भुगतान कैसे करेंगे. सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक को और मोटा करके उसको पूरी तरह से इकट्ठा करें जिसे रिसाइकल किया जा सके. सरकार के ड्राफ्ट नोटिफेकेशन पर कई ऑब्जेक्शन लगे थे लेकिन अभी तक विकल्प नहीं मिला.
आंकड़े कहते हैं कि 2019-20 में दिल्ली में 2 लाख 30 हजार 525 टन प्लास्टिक वेस्ट था जिसका करीब 13 प्रतिशत ही रिसाइकल हो सका. 20 प्रतिशत सड़ के निर्माण में चला गया तो करीब 67 प्रतिशत प्रदूषण फैलाने का काम कर रहा है. दिल्ली नगर निगम ने सभी जोन में बैन का सर्कुलर भेजकर इसे सभी इलाकों में तामील कराने के लिए कहा है.
jantaserishta.com
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