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IAS अफसर की सादगी: ट्रांसफर के बाद बैग उठाया, चले गए ट्रेन से...नहीं ली विदाई

jantaserishta.com
9 Jan 2022 9:02 AM GMT
IAS अफसर की सादगी: ट्रांसफर के बाद बैग उठाया, चले गए ट्रेन से...नहीं ली विदाई
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कौन हैं आईएएस योगेंद्र सिंह?

नई दिल्ली: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) के गृह जिले नालंदा में जिलाधिकारी थे, योगेंद्र सिंह(IAS Yogendra Singh). तेजतर्रार आईएएस और जिले के विकास के लिए समर्पित रहने वाले अधिकारी. हाल ही में जब बिहार के कई जिलाधिकारियों का ट्रांसफर (Bihar IAS Transfer-Posting) हुआ तो उसमें इनका नाम भी शामिल था. नालंदा से उनका ट्रांसफर समस्तीपुर हो गया. ट्रांसफर होने के बाद न तो उन्होंने कोई ताम-झाम होने दिया और न ही फेयरवेल पार्टी होने दी. बल्कि उन्होंने बेहद सादगी के साथ विदाई ली.

अमूमन देखा जाता है​ कि किसी भी जिले से जब डीएम का ट्रांसफर होता है तो उनके अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी फेयरवेल पार्टी जरूर रखते हैं. उन्हें ढेर सारे गिफ्ट वगैरह दिए जाते हैं. कर्मियों का जत्था डीएम को स्टेशन छोड़ने जाता है. लेकिन योगेंद्र सिंह की शालीनता ऐसी कि उनकी विदाई में ऐसा कुछ नहीं दिखा. उन्होंने खुद ही अपना सामान उठाया और रेलवे स्टेशन की ओर चल​ दिए. यहां तक कि जब उनके बॉडीगार्ड ने सामान उठाना चाहा तो उसे नए डीएम के साथ रहने को कह दिया.
आईएएस योगेंद्र ​सिंह ने एक आम नागरिक की तरह लाइन में खड़े होकर टिकट कटाई और श्रमजीवी एक्सप्रेस में बैठकर पटना रवाना हो गए. इसके बाद योगेंद्र सिंह ने समस्तीपुर के जिलाधिकारी के तौर पर जॉइन कर लिया. उनकी सादगी की चर्चा न केवल राज्य भर में हो रही है, बल्कि सोशल मीडिया के जरिये देश-विदेश के लोग भी योगेंद्र सिंह की चर्चा कर रहे हैं. आइए जानते हैं योगेंद्र सिंह के बारे में विस्तार से.
कौन हैं आईएएस योगेंद्र सिंह?
योगेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले हैं. 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. नालंदा से पहले वे शेखपुरा के डीएम रह चुके हैं. उससे पहले बेतिया में डीडीसी यानी उप विकास आयुक्त रहे और सबसे पहले पटना सिटी के एसडीएम यानी अनुमंडलाधिकारी रह चुके है. वे करीब 3 साल से नालंदा के डीएम थे. यहां के 37वें जिलाधिकारी के तौर पर उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया था.
35 महीने के कार्यकाल में उन्होंने अपने काम से लोगों के दिलों में जगह बना ली थी. खासकर टूरिज्म सेक्टर में नालंदा का काम खूब आगे बढ़ाया. यहां जू सफारी को विकसित करने में उनका अहम योगदान रहा. विकास कार्यों के प्रति समर्पित रहने वाले और काम में व्यस्त रहने वाले डीएम योगेंद्र जिस सादगी के साथ विदा हुए, ऐसा जिले ने किसी डीएम के कार्यकाल में नहीं देखा था.
योगेंद्र सिंह का जन्म और शिक्षा-दीक्षा
वर्ष 1990 में उन्नाव जिले के गंजमुरादाबाद ब्लॉक के छोटे से गांव हरईपुर में उनका जन्म हुआ. यहीं पर एक प्राइमरी स्कूल में उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई. 5000 से भी कम आबादी वाले इस गांव में एक साधारण किसान परिवार के इस लड़के ने अटवा वैक स्थित विवेकानंद इंटर कॉलेज से हाई स्कूल की शिक्षा ली. इसके बाद मल्लावां के बीएन इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की. आगे की पढ़ाई के लिए वे लखनऊ चले गए, जहां लखनऊ यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए किया.
सिर से उठ गया पिता का साया, फिर मां ने उठाई जिम्मेदारी
योगेंद्र करीब 12 साल के थे, जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया. उनके पिता जय सिंह को कैंसर था और वर्ष 2002 में बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया. पिता के निधन के बाद योगेंद्र के पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी मां श्यामा देवी पर आ गई. महज तीन बीघे में खेती के सहारे उन्होंने परिवार भी चलाया और बेटे की पढ़ाई का खर्च भी उठाया.
लखनऊ में रहते हुए ग्रेजुएशन करने के दौरान योगेंद्र ने बच्चों को ट्यूशन-कोचिंग वगैरह भी पढ़ाया, ताकि थोड़ा आर्थिक बोझ कम किया जा सके. बीए करते हुए ही उन्होंने सिविल सेवा में जाने की ठान ली थी. फिर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और वर्ष 2012 में सफलता हासिल की. ओबीसी कैटगरी से आने वाले योगेंद्र सिंह ने 2012 में सिविल सर्विस की परीक्षा में ऑल इंडिया में 28वां रैंक हासिल किया. वे आईएएस चुने गए और उन्हें बिहार कैडर मिला.
परिवार में कौन-कौन हैं?
वर्ष 2018 में योगेंद्र सिंह की शादी पुरवावां जिला हरदोई निवासी नेहा के साथ हुई, जो गृहिणी हैं. पत्नी और मां योगेंद्र के साथ रहती हैं. एक पुत्र नेयस है. जब भी मौका लगता है, योगेंद्र अपने पैतृक गांव हरईपुर जाते रहते हैं. दिसंबर में ही अपने चचेरे भाई की शादी में वे गांव गए हुए थे. गांव के युवाओं के लिए वे एक आदर्श हैं और युवा उनसे प्रेरित होते हैं. उनकी मेधा, ईमानदारी और सादगी की चर्चा होती रहती है.
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